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डार्विन बिचारा कहेगा कि... नहीं नहीं, ये सब और ऐसी किसी भी प्रकार की अन्य प्राणियों की जातियाँ नहीं थी । फिर प्रश्न खडा होता है कि यदि इनका अस्तित्व ही नहीं था तो फिर कहाँ से आया ? किसने निर्माण की ? कब की ? कैसे की ? कहाँ की ? किस तरह की ? किसमें से की ? इत्यादि सेकडों प्रश्नों की हारमाला खडी हो जाएगी ।
यदि आप कहते हैं कि ... बाद में विकसित हुई है तो यह बताइए कि किसमें से विकसित हुई ? उनके विकास का आधार किस पर था । जैसे मनुष्य के विकास का आधार बन्दर पर माना है वैसे ही हाथी-घोडे - ऊँट - बैल - गाय आदि के विकास का आधार किस पर आधारित बताया जाता है ? यहाँ सबके लिए भिन्न-भिन्न आधार मानना कि सबका आधार एक पर ही मानना ? क्या करना ? क्या किसी एक पर ही आधार मानकर उसके विकास की विकसित अवस्था आज के रूप में आज के हाथी-घोडे आदि को मानना ? यदि डार्विन ऐसा उत्तर देता है तो फिर बडी भारी आपत्ति तो यह आएगी कि .. . लाखों-करोडों वर्षों पहले भी ये हाथी-घोडे - ऊँट - बैलादि सभी प्राणी जब थे और आज हैं उनमें क्या अन्तर है ? क्या फरक है ? क्या विशेषता है ? ऐसी कौनसी विशेषताएं हैं जो उन हाथी-घोडे आदि प्राणियों में आज हैं और लाखों वर्षों के पहले नहीं थी ? या उल्टा मानें कि लाखों वर्षों के पहले थी और आज नहीं है ? क्या आप बता सकते हैं ? कभी भी नहीं । संभव ही नहीं है । उदाहरण के लिए ... हाथी-घोडे - बैल - बकरी - गाय-भैंस आदि जो लाखों करोडों वर्षों पहले भी शुद्ध शाकाहारी ही थे और आज दिन तक भी शुद्ध शाकाहारी ही रहे हैं। घास ही खाते रहे हैं । उसमें जब कोई फर्क नहीं पडा है तो विकास किस बात का ? क्या शरीर की ऊँचाई आदि के प्रमाण में कम ज्यांदा हुआ है ? उसे विकास कहना ? जी नहीं । यह भी संभव नहीं है । सबकी अपनी अपनी शरीर की निर्धारित ऊँचाई है। जो है, जिनती है, उतनी ही है। आखिर किस बात में फर्क पड़ा ? किस विषय में विकास सिद्ध करेंगे ? क्या सिंह - शेर - चित्ता - बाघ - आदि जो मांसाहारी
और आज शाकाहारी बने हैं ? यदि मांसाहारी शकाहारी बने तो विकास कहना या फिर शाकाहारी मांसाहारी बने तो विकास कहना ? दोनों तरह आप क्या जवाब देंगे ? या फिर सदा काल गाय भैंसादि का शाकाहारी ही रहना... इसको विकास कहेंगे ?
अच्छा . . डार्विन के हिसाब से मात्र बन्दरों का ही विकास हुआ ... और अन्य प्राणियों की जातियों का विकास क्यों नहीं हुआ ? क्या हुआ ? विकास योग्य वातावरण प्राणियों को नहीं मिला क्या ? क्यों नहीं मिला? आखिर कौनसे कारण बीच में बाधक बने ? अरे ! विकास योग्य वातावरण का वास्तविक स्वरूप क्या है? कैसे वातावरण को
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आध्यात्मिक विकास यात्रा