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'योनि' शब्द का अर्थ है यहाँ उत्पत्ति स्थान । जीव जब जन्म लेता है। तब... किसी न किसी योनि में ही जन्म लेता है । तथाप्रकार की योनि के आधार पर उस जीव की पहचान होती है कि यह जीव किस प्रकार का है ? कहाँ का है ? कौन है ? कैसा है । अतः समस्त संसार में जीवों के भेद जन्म - उत्पत्ति (योनि) के आधार पर निर्धारित किये गए हैं। ऐसी कुल ८४ लाख प्रकार की योनियाँ होती हैं । यह ८४ लाख संख्या के रूप में नहीं है यह तो मात्र भेद - प्रकार है। जैसे मनुष्य की १४ लाख योनियाँ बताई है तो क्या सिर्फ १४ लाख ही स्त्रियाँ है ? जी नहीं । करोडों की संख्या स्त्रियों की संसार में आज भी है तब तो करोडों योनियों की संख्या होगी। तो क्या यह १४ लाख गलत बताई है ? जी नहीं । यह १४ लाख की संख्या स्त्रियों की संख्या के आधार पर गिनति नहीं की है । यह १४ लाख तो प्रकार- -भेद के रूप में है । शीत-उष्ण-शीतोष्ण - समशीतोष्ण संवृत्त - विवर्त आदि भेदों के आधार पर तथा वर्ण-गंध-रस - स्पर्शादि के साथ गुणाकार करने पर यह १४ लाख की संख्या आती है । इसी तरह समस्त जीवों का विभाजन करके उनकी उत्पत्ति योनियों की संख्या कुल ८४ लाख की बताई गई है ।
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जीवों का वर्गीकरण
योनि संख्या
७ लाख
७ लाख
७ लाख
७ लाख
१० लाख
१४ लाख
२ लाख
२ लाख
२ लाख
४ लाख
| १४ लाख योनि
मनुष्यगति
तिर्यंचगति
६२ लाख योनि
४ लाख योनि
देवगति
P
| नरकगति
४ लाख योनि
१. पृथ्वीकाय के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या
२. अप्काय के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या
३. तेउकाय के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या४. वायुकाय के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या
५. प्रत्येक वनस्पतिकाय उत्पत्ति योनि संख्या६. साधारण वनस्पतिकाय उत्पत्ति योनि संख्या७. बेइन्द्रिय के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या
८. तेइन्द्रिय के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या९. चउरिन्द्रिय के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या१०. देवता के जीवों की उत्पत्ति योनि संख्या
डार्विन के विकासवाद की समीक्षा
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