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________________ संस्था ने प्रकाशित करवाई है । इसका विमोचन श्रेष्ठीवर्य श्रीमान उत्तमचन्दजी मेहता के करकमलों द्वारा हुआ। समाज के कई महानुभावों ने इस पुस्तक को पसंद की। भ. महावीर प्रभू की अन्तिम देशना दीपावली पर्व के उपलक्ष में पूज्य पंन्यासजी म.सा. ने दो दिन श्री वीर प्रभू की अन्तिम देशना स्वरूप “श्री उत्तराध्ययन सूत्र" आगम शास्त्र का सार-सार श्रवण कराया। सुबह और दोपहर इस तरह दोनों समय और दो दिन तक वीर वाणी की अन्तिम देशना श्रवण कराई । जिसे “महावीर वाणी" लघु पुस्तिका के रूप में विविध दान दाताओं के आर्थिक सहयोग से “श्री हथुण्डी तीर्थ" की तरफ से छपवाकर प्रकाशित कराई जा रही है । जिसका विमोचन २९ जनवरी रवीवार को सिकन्द्राबाद में होगा। इस तरह “महावीर वाणी" के १०८ श्लोकों का एक सामायिक में माला की तरह स्वाध्याय होगा। विदाय समारंभ- अक्कीपेठ-परिसर की धन्यधरा पर अकल्पनीयअविस्मरणीय एक सुंदर यशस्वी चातुर्मास देखते ही देखते पूर्णता के शिखर पर पहुंचा। हमारी सबकी कल्पना के बाहर... अक्कीपेठ में सर्व प्रथम-पहला ही चातुर्मास और वह भी हमारे श्री संघ के प्रणेता एवं आद्य संस्थापक पू. पंन्यासप्रवर श्री अरुणविजयजी म.सा. मुनि श्री धनपालविजयजी म. एवं मुनि श्री हेमन्तविजयजी म. आदि मुनि मण्डल का हुआ। पूज्यश्री के हमारे श्री संघ पर अनेक उपकार हैं । हमारे श्री संघ में बन रहे भव्य शिखरबंधी जिनालय तथा श्री सम्मेतशिखरजी तीर्थ की प्रतिकृति–पाठशाला आदि अनेक विषयों में पूज्यश्री के असीम-अगणित उपकारों को हम कभी भूल नही सकते हैं। उसमें भी हमारे श्री संघ में स्थानादि की अनुकूलता-सुविधादि न होते हुए भी पूज्यश्री का इतना सुंदर यशस्वी चातुर्मास होगा, और वह भी इतनी शासन प्रभावना के साथ संपूर्ण होगा यह हमारी कल्पना के बाहर था फिर भी शासन देव की असीम कृपा से निर्विघ्नता पूर्वक पूर्ण हुआ। पूज्यश्री ने श्री संघ में मौन एकादशी की आराधना कराई.. और उसके ठीक दूसरे दिन मागसर सुदि १२ बुधवार दि. १४ दिसंबर को श्री संघ ने विदाय समारंभ का आयोजन किया। बेंगलोर के अनेक प्रतिष्ठित महानुभाव श्रीमान शा. लक्ष्मीचंदजी कोठारी, एस. कपूरचन्दजी आदि अनेक संघों के अग्रगण्य महानुभाव पधारे थे। पूज्य मुनिश्री मुक्तिचन्द्रविजय म, एवं मुनिचन्द्र विजय म. ने पू. पंन्यासजी म. की शास्त्रीय गहन विषयों पर सरल व्याख्यान पद्धति की अनुमोदना की । पू. मुनि श्री नंदिरत्नविजयजी म. ने अपने व्याख्यान में दक्षिण में जैन साधुओं के विहार की बात के साथ पूज्यश्री के उपकार का 22
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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