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________________ अब तक देखने की शक्ती नहीं मिली थी। अब चउरिन्द्रिय बनने पर उसे आँख मिली। पहले की तीन- १ स्पर्शेन्द्रिय, + २ रसनेन्द्रिय + ३ घाणेन्द्रिय, ये तीन थी और अब चौथी चक्षु–आँख और मिलने से जीव चउरिन्द्रिय बना। चउरिन्द्रियपने में आकर जीव . : . .बिच्छु-मक्खीमच्छर-भौरा-तीड-पतंगिया-तितली आदि रूप धारण करने लगा। इन सबको आँख होती है। और इसके साथ साथ चमडी-जीभ तथा नासिका तो होती ही है । चौथी आँख और मिल गई जिससे अब देखने की शक्ती प्राप्त हो गई । एक कदम जीव का आगे और विकास हुआ। लेकिन कितने हजार वर्षों बाद हुआ? फिर भी हुआ तो सही । अकाम निर्जरा करते करते जीव आगे बढ़ रहा है । लेकिन फिर चउरिन्द्रिय में भी कितना काल बिता देगा इसका कोई ठिकाना नहीं है । ऐसा नहीं है कि सिर्फ १ मक्खी का भव किया और आगे बढ जाएगा। और पंचेन्द्रिय हो जाएगा। नहीं, असंभवसा लगता है। फिर भी एक मरुदेवा माता के जीव की तो बात ही अलग है । वनस्पति काय में से सीधी छलांग लगा दी और सीधे मनुष्यगति में पहुँच गया। लेकिन वैसा दूसरा दृष्टान्त कहाँ मिलता है? यद्यपि चउरिन्द्रिय काय में मक्खी-मच्छर आदि के भव काफी छोटे होते हैं। जल्दी जन्मते हैं और जल्दी मरते भी हैं लेकिन .... ये वापिस चउरिन्द्रियपने में ही जन्म लेते जाएँ और मक्खी के बाद मच्छर बने, मच्छर के बाद भौरा बने, फिर तीड बने, फिर तितली बने, फिर पतंग बने इत्यादि बनते ही जाय तो इस प्रकार की स्वकाय स्थिति में कितना काल बिता दें ? ... प्रभु फरमाते हैं कि चउरिंदियकायमइगओ, उक्कोसं जीवो उ संवसे। कालं संखिज्जसन्नियं, समयं गोयम ! मा पमायए ।। १०-१९ ।। चार इन्द्रियवाला बनकर चउरिन्द्रियकाय की जाती में आकर जन्म धारण करते करते जीव संख्यात हजार (हजारों) वर्षों का काल भी बिताता है । इस तरह संसार चक्र में २४० आध्यात्मिक विकास यात्रा
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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