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________________ के कीडे आदि कितने उत्पन्न होते हैं? कितनी इनकी संख्या है और कितना जल्दी मर भी जाते हैं, और रोज कितने हजारों लाखों की तादात में उत्पन्न–पैदा होते रहते हैं ? जल्दी मरनेवाले जीवों का आयुष्य काल बहुत छोटा होता है । वह जीव बहुत जल्दी मरने से ऐसा न समझ लें कि... अच्छा हुआ, चलो, अब वह जीव बहुत आगे चला जाएगा। जी नहीं। हजारों वर्षों तक पुनः ३ इन्द्रियवाले शरीरों को धारण करता ही रहेगा। हाँ, पर्याय अर्थात् आकार-प्रकार जरूर बदलते रहेंगे। जू का आकार छोटा होगा तो चिंटी का बडा और मकोडे का उससे भी बड़ा आकार रहेगा । और रेशम के कीडे-लटादि का उससे भी बड़ा रहेगा। लेकिन शरीर छोटा-बड़ा होने से उसे कुछ भी फरक नहीं पडता है । जैसे हमारे मनुष्यों में भी कोई७ ॥ फीट लम्बा हो और कोई २ ॥ फीट का बावना ही हो तो प्रवृत्ति आदि किसी में भी किसी प्रकार का कोई फरक नहीं पड़ता है। व्हेल मछली १०० फीट से भी ज्यादा लम्बी होती है और २-४ इंच वाली छोटी-छोटी मछलियाँ भी होती ही हैं। दोनों के आहार निहार गति आदि में क्या फरक पडता है? कुछ भी नहीं । वैसे ही ३ इन्द्रिय वाले जीव जो तेइन्द्रिय की जाति में ही हैं उनमें शरीर की पर्याय का आकार-प्रकार बदल जाने या घट-बढ जाने से कोई फरक नहीं पड़ता है। कोई शरीर बडा हो जाने मात्र से कोई विकास हो नहीं जाता है । शरीर की दृष्टि से देखने पर तो २ इन्द्रियवाले अलसिये, जलो, नासूर का कीडा आदि कई काफी बडे-लम्बे-चौडे भी होते ही हैं । लेकिन इससे उनका विकास संभव नहीं है । संसार चक्र में परिभ्रमण करते करते जीव... तेइन्द्रिय काय में कितने जन्म बिता देता है इसकी कोई गिनती नहीं हो सकती है। . ४ इन्द्रियवाले चउरिन्द्रिय जीव__जैसे जैसे जीव आगे बढ़ता है वैसे वैसे १ इन्द्रिय अधिक प्राप्त होती है । अकाम निर्जरा के बल पर जीव थोडा विकास साधता हुआ आगे बढ़ता है। और चौथी एक और इन्द्रिय प्राप्त करता है । वह है चक्षु–आँख । तेइन्द्रिय के चिंटी मकोडे आदि जीवों को डार्विन के विकासवाद की समीक्षा २३९
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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