________________
पाँचों इन्द्रियाँ इन २३ विषयों का ज्ञान आत्मा तक पहुँचाती हैं । अतः ये ज्ञानोपकारक ज्ञानेन्द्रियाँ हैं ।
मन इन्द्रिय नहीं लेकिन अतीन्द्रिय है । इसका काम प्रत्यक्ष रूप में इन २३ विषयों को देखना, सूंघना आदि नहीं है । परन्तु चिन्तन करना - विचार करना - २ - सोचना है । विचारधारा में सहायक मन साधन है, माध्यम है। मुख्य रूप से तो आत्मा ही ज्ञान का स्रोत है । परन्तु मन माध्यम के रूप में सहायक साधन हैं । अतः मन के जरिए विचारों द्वारा - ज्ञान की प्राप्ति होती है
तथाप्रकार के ज्ञानावरणीय-दर्शनावरणीय कर्मों के कारण जीव को 'इन्द्रियों का कम-ज्यादा मिलना होता है और मन का मिलना न मिलना भी होता है। अतः संसार चक्र के अनन्त जन्मों में जीव ने कम-ज्यादा इन्द्रियोंवाले तथा मनसहित संज्ञी-समनस्क तथा मनरहित अमनस्क—असंज्ञि के अनन्त जन्म लिये हैं ।
संसार चक्र में जीवों के जन्म-मरण
२३२
आध्यात्मिक विकास यात्रा