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प्रकार के प्रबलतर पुण्योदय को प्राप्त करके यहाँ आए हुए होते हैं। ये ज्ञान-ध्यान-साधना में मस्त- - तल्लीन रहते हैं । नौ ग्रैवेयकों के प्रथम ३ में - १११, दूसरे ३ में - १०७ तथा तीसरे ७ में १०० विमान ऐसे कुल मिलाकर ३१८ विमान पृथ्वियाँ हैं । यहाँ सुख-समृद्धि का कोई पार ही नहीं है । इनके अवधिज्ञान का क्षेत्र भी बहुत ही विस्तृत है । ये छट्ठी सातवी नरक पृथ्वी तक प्रत्यक्ष-देख तथा जान सकते हैं। ग्रैवेयक से मरकर देवताओं के जीव निश्चित ही ऊँची मनुष्य की गति में ही जाते हैं तथा अल्पभवी होते हैं । कुछ ही भवों में मोक्ष में जाते हैं ।
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पाँच अनुत्तर विमान के देवता
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देवगति में तथा वैमानिक देवलोक में सर्वोत्कृष्ट देवता पाँच अनुत्तर विमान के कहलाते हैं । चारों तरफ के सभी दृष्टिकोण से देखने विचारने पर यहाँ के ५ अनुत्तरों की सर्वोत्कृष्टता बिल्कुल ही देखते बनती हैं। अनुत्तर अर्थात् जिसके उत्तर में अर्थात् आगे अब कोई देवलोक है ही नहीं ऐसे अनुत्तर विमान । ये संख्या में ५ हैं । इनके नाम १) विजय, २) वैजयन्त, ३) जयन्त, ४) अपराजित और ५) सर्वार्थसिद्ध । ये भी कल्पातीत की कक्षा में हैं । अतः यहाँ भी कल्प के जैसी कोई व्यवस्था ही नहीं है । यहाँ कोई इन्द्र सामानिक आदि का प्रश्न ही नहीं है । ये सभी अनुत्तरवासी देवता काम संज्ञा - विषय वासना की वृत्ति से सर्वथा ऊपर उठे हुए हैं। कषायादि संक्लिष्ट परिणाम का तो यहाँ नाम निशान ही नहीं है । ये देवता यहाँ नीचे आने आदि का नाम ही नहीं लेते हैं । ये सर्वथा अपने ध्यान-स्वाध्याय आदि में मग्न रहते हैं । इनका सबसे अधिक से अधिक उत्कृष्ट आयुष्य और ३३ सागरोपम का होता है । तथा कम से कम जघन्य आयुष्य - ३१ सागरोपम विजयादि ४ अनुत्तर में रहता है । लेकिन सर्वार्थसिद्ध में जघन्य स्थिति नहीं होती है । यहाँ ३३ सागरोपम ही आयुष्य की स्थिति होती है । १ सागरोपम बरोबर असंख्य वर्षों का काल होता है । ऐसे ३३ सागरोपम अर्थात् असंख्य x ३३ इतने वर्षों का सुदीर्घ लम्बा काल वहाँ एक जन्म का बितातें हैं । लेकिन अपने ज्ञान - ध्यान - स्वाध्यायादि शुभतर चिन्तनादि में वे मस्त तल्लीन रहते हैं । अतः उनको काल का कोई उद्वेगादि भी नहीं रहता है। अनुत्तरवासी सभी श्वेत-शुभतर लेश्या के मानसिक शुभ परिणामवाले रहते हैं । अतः क्लेश- कषाय-लडाई-झंगडे आदि का कोई प्रश्न ही नहीं रहता है । उनके शरीर बहुत ही सुंदर - रूप-रंग लावण्य- - सौंदर्य से भरे हुए गौर वर्ण के होते हैं। सिर्फ १ हाथ प्रमाण अनुत्तरवासियों के शरीर की ऊँचाई होती है । इनके विमानों की संख्या भी ज्यादा नहीं सिर्फ ५ ही होती है । ये विशाल पृथ्वियाँ हैं ।
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आध्यात्मिक विकास यात्रा
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