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________________ स्थिति के लिए 'उत्कृष्ट' शब्द है । एक बार कोई भी देवगति में चला जाता है तो वहाँ कम से कम (जघन्य) आयु १०,००० वर्ष की होती है । इससे कम नहीं होती है। जैसे हमारे मनुष्य जन्म में जीव माँ के गर्भ में आए और २ घडी के अंतर्मुहूर्त में ४८ मिनिट में मृत्यु पाकर चला जाय ठीक उसी तरह देवगति में देवता के जीव का कम से कम १०००० वर्ष का आयुष्य रहता ही है । इसके बाद अधिक की बात करते हुए आयुष्य इस प्रकार बताए भवनपति निकाय के देवताओं की उत्कृष्ट आयुस्थिति - १ पल्योपम असुरकुमार के उत्तरार्धपति देवताओं की उत्कृष्ट आयुस्थिति - १ सागरोपम व्यंतर निकाय के देवताओं की उत्कृष्ट आयुस्थिति १पल्योपम ज्योतिष्क में सूर्य-चन्द्र देवों की उत्कृष्ट आयुस्थिति- १ पल्योपम कुछ अधिक ज्योतिष्क में ग्रहों की उत्कृष्ट आयुस्थिति १ पल्योपम कुछ अधिक ज्योतिष्क में नक्षत्रों की उत्कृष्ट आयुस्थिति- १/२ पल्योपम कुछ अधिक ज्योतिष्क मे ताराओं की उत्कृष्ट आयुस्थिति- १/४ पल्योपम कुछ अधिक वैमानिक में १ ले देवलोक में - उत्कृष्ट २ सागरोपम और जघन्य १ पल्योपम वैमानिक में २ रे देवलोक में – उत्कृष्ट ३ सागरोपम और जघन्य १ पल्योपम साधिक वैमानिक में ३ + ४ थे देवलोक में - उत्कृष्ट ७ सागरोपम और जघन्य २ सागरोपम वैमानिक में ५ वे देवलोक में- उत्कृष्ट १० सागरोपम और जघन्य ७ सागरोपम वैमानिक में ६ ठे देवलोक में - उत्कृष्ट १४ सागरोपम और जघन्य १० सागरोपम वैमानिक में ७ वें देवलोक में - उत्कृष्ट १७ सागरोपम और जघन्य १४ सागरोपम वैमानिक में ८ वें देवलोक में -. उत्कृष्ट १८ सागरोपम और जघन्य १७ सागरोपम वैमानिक में ९वें + १० वे देवलोक में - उत्कृष्ट २० सागरोपम और जघन्य १८ सागरोपम वैमानिक में ११ वे +१२ वें देवलोक में - उत्कृष्ट २२ सागरोपम और जघन्य २० सागरोपम वैमानिक में १ ले ग्रैवेयक देवलोक में - . उत्कृष्ट २३ सागरोपम और जघन्य २२ सागरोपम वैमानिक में २ रे ग्रैवेयक देवलोक में - ... उत्कृष्ट २४ सागरोपम और जघन्य २३ सागरोपम वैमानिक में ३ रे ग्रैवेयक देवलोक में - उत्कृष्ट २५ सागरोपम और जघन्य २४ सागरोपम संसार २१३
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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