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रविवार दिनांक २-१०-९३ के शुभ दिन भव्य उद्घाटन समारंभ का आयोजन किया ।लोकसभा उपाध्यक्ष श्रीमान मल्लिकार्जुनय्या के करकमलों से “श्री महावीर जैन धर्मार्थ दवाखाना” का विधिवत् उद्घाटन किया गया। मुख्य अतिथि के रूप में श्रेष्ठिवर्य श्रीमान शा. मोहनलालजी आदि पधारे थे। होम्योपेथिक हॉस्पिटल के डॉ. शेषाचलम् पधारे थे। जैन समाज के श्रीमान् डॉक्टर दीपकभाई शाह, डॉ. अमृता आदि डॉक्टर हमेशा के लिए नियुक्त किये हैं। जो अपनी सेवा प्रतिदिन दे रहें हैं । समस्त जनता के लाभार्थ दवाखाना प्रतिदिन खुला रहता है। निःशुल्क पद्धति से दवाई वितरित की जाती है। होम्योपॅथी एवं एक्युप्रेशर पद्धति से उपचार जारी है।
विजयनगर संघ में आराधना
बढते हुए बेंगलोर शहर के उपनगरों में विजयनगर में भी कई जैन परिवारों की बसति बढती ही जा रही है । विजयनगर संघ की आग्रह भरी विनंति को मान देकर पूज्यश्री मुनि हेमन्तविजयजी म. को चातुर्मास के कई रविवार, कई चौदश आदि के शुभ दिन व्याख्यान वाणी हेतु वहाँ भेजते रहे । श्री संघ की भावना के आधार पर विजयनगर परिसर में भव्य शिखरबंधी जिनालय बंधाने की योजना बनी । इसके लिए श्री संभवनाथ जैन श्वे. म. संघ विजयनगरवालों को एक सद्गृहस्थ श्रेष्ठिवर्य श्रीमान सेठिया ने अपना प्लॉट मंदिर निर्माणार्थ भेट रूप में अर्पण किया। श्री संघ ने श्रावण मास में शुभ मुहूर्त में एक छोटासा गृह मंदिर निर्माण किया । मद्रास से श्री संभवनाथ भगवान की प्रतिमाजी लाई। संघ में चढावे हुए । बहुत ही अच्छे उत्साह और आनन्द के साथ प्रभूजी नूतन गृह मंदिर में बिराजमान किये। लोगों की दर्शन-पूजा आराधना प्रारंभ हुई। पूज्य पंन्यासजी श्री अरुणविजयजी म.सा. की प्रेरणा से एवं उन्हीं की पावन निश्रा में प्रभूजी बिराजमान हुए। पू. मुक्तिचन्द्र विजयजी म. आदि मुनि मण्डल एवं साधु-साध्वीजी म. पधारे थे।
पूज्य पंन्यासजी म.सा. ने मुनि हेमन्तविजयजी म. को पर्युषण महापर्व की आराधना कराने के लिए भेजा। श्री संघ में अट्ठाई-अट्ठम आदि तपश्चर्याएँ-आराधना आदि हुई। श्री कल्पसूत्र-बारसासूत्र का श्रवण-संवत्सरी प्रतिक्रमण, पारणादि सब कुछ काफी अच्छी तरह ठाठ से हुए।
पूज्य पंन्यासजी श्री अरुणविजयजी म.सा. का २-४ दिन के लिए विजयनगर में आगमन हुआ पूज्यश्री के पदार्पण से श्री संघ में काफी आनन्द-उत्साह आया। संघ ने नवकारशी का आयोजन किया। मंदिर बनाने का निर्णय हुआ। पूज्यश्री ने सुयोग्य