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इसतरह कुल संख्या
१० + १५+८+८+१०+५+५+१२+३+९+९+५ = कुल ९९ प्रकार के देवता हैं।
९९ पर्याप्ता + ९९ अपर्याप्ता = १९८.
देवताओं की विविध मुख्य ४ जातियाँ हैं और उनकी भी अवान्तर १२ जातियाँ प्रचलित हैं। इनके भेद-प्रभेद ऊपर के कोष्ठक से संक्षिप्त में समझ में आ सकेंगे।
देवगतिगत देवताओं का लक्षण बताते हुए कहा है कि- प्रायशः शुभतरादि लेश्यादिपरिणामवत्त्वे सति देवगतिनामकर्मोदयरूपत्वं देवगतेलक्षणम् ॥ ज्यादातर शुभ-शुभतर आदि लेश्याओं के परिणामवाला देवगति नाम कर्म के उदय से देवगति में गया हुआ जीव देवता कहलाता है। देवताओं की भी एक अजीब सी दुनिया है.। समस्त लोक (ब्रह्माण्ड) में तीनों लोक में देवता रहते हैं । प्राधान्य रूप से तो ऊर्ध्वलोक देवलोक में ही रहते हैं। लेकिन तिर्छालोक में मनुष्यक्षेत्र में भी रहते हैं। और इस पृथ्वी के नीचे भवनों में तथा... नरक पृथ्वियों में देवताओं का वास है । नीचे से ऊपर तक उठते-उठते देवताओं की कैसी जातियाँ हैं? अतः नीचे से ऊपर उठते क्रम से भेदों की विवक्षा करते हुए देवताओं की चारों जातियों का वर्णन किया है। अतः देवताओं में भी अशुभ-अधम हल्की जाती के देव होते हैं। ...फिर ऊपर उठते-उठते
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आध्यात्मिक विकास यात्रा