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नरकगति के नारकी जीव
पहले अध्याय में भौगोलिक वर्णन में अधोलोक-नरक लोक का वर्णन कर आए हैं । उसके आधार पर नरक क्षेत्र–अधोलोक वहाँ की पृथ्वियाँ कैसी हैं ? इत्यादि स्वरूप समझें । अब ऐसी सात नरक पृथ्वियों में जाकर जो जीव उत्पन्न होते हैं वे नारकी जीव कहलाते हैं । नारकी जीवों के जन्म उपपात जन्म कहलाते हैं।
नारकदेवानामुपपातः ।। २-३५ ।। तत्त्वार्थकार वाचकमुख्यजी ने नारकी और देवताओं के जन्म को उपपात जन्म बताया है । वहाँ स्त्री-पुरुष की मैथुन क्रिया जैसे संबंध से गर्भधारणा होकर जन्म नहीं होता है । सातों नरक पृथ्वियों के प्रतरों में कुम्भियाँ होती हैं । उन्ही में अशुभ पाप कर्म के उदय से जीव आते हैं और जन्म लेते हैं । कुम्भी अर्थात् कुम्भ-घडा–गवाक्षादि आकार के स्थान होते हैं । ऐसे गुप्त गवाक्षादि स्थान तथा निष्कूटों में अशुभ-अशुभतर पापकर्म के उदयवाले जीव आते हैं । और सिर्फ अंतर्मुहूर्त काल में स्वशरीर की रचना करके उत्पन्न होते हैं और पीडा का अनुभव करते करते-बडे भारी दुःखी होते हुए... जैसे जोर से पानी में पत्थर फेंका जाय वैसे वज्रमय कठोर तलभूमिभाग पर बाहर आकर फेंके जाते हैं । इस प्रकार के जन्म में तीव्र वेदना का अनुभव करते हैं । इसे उपपात जन्म कहते हैं।
नरक गति में आकर जन्म लेकर उत्पन्न हए नारकी जीव... बहत लम्बे लम्बे आयुष्यवाले होते हैं । १०००० वर्ष के आयुष्य से लेकर ... ३३ सागरोपम वर्ष काल तक के आयुष्य वाले भी होते हैं । इस तरह जघन्य और मध्यम दो प्रकार के आयुष्यवाले नारकी जीव होते हैं। .
नरक पृथ्वीयाँ जघन्य आयु. उत्कृष्ट आयु १. रत्नाप्रभा नरक में १०००० वर्ष आयु १ सागरोपम वर्ष २. शर्कराप्रभा नरक में १ सागरोपम वर्ष ३ सागरोपम वर्ष ३. वालुकाप्रभा नरक में ३ सागरोपम वर्ष ७ सागरोपम वर्ष ४. पंकप्रभा नरक में : ७ सागरोपम वर्ष १० सागरोपम वर्ष ५. धूमप्रभा नरक मे १० सागरोपम वर्ष १७ सागरोपम वर्ष ६. तमःप्रभा नरक में १७ सागरोपम वर्ष २२ सागरोपम वर्ष ७. महातमःप्रभा नरक में २२ सागरोपम वर्ष ३३ सागरोपम वर्ष
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आध्यात्मिक विकास यात्रा