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कहलाते है । कबुतर, तोता, कौए, गिध, चील, हंस, सारस, चिडिया आदि रोमज-रोमवाले पक्षी हैं । और उल्लु आदि बिना रोम के चर्मज पक्षी हैं । अढाई द्वीप के मनुष्य क्षेत्र के बाहर असंख्य द्वीपों पर समुद्गक और वियय पक्षियों की ही आबादी है । जन्म की दृष्टि से विचारणा
सव्वे जल-थल-खयरा-समुच्छिमा-गब्भया दुहा हुंति।
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ये सभी जलचर, स्थलचर और खेचर प्रकार पशु-पक्षी प्राणी जन्म की दृष्टि से गर्भज और समुर्छिम दो प्रकार के होते हैं। नर और मादा के संयोग से गर्भ रह कर जिसका जन्म होता है वे गर्भज जीव कहलाते हैं । ये गर्भज भी ३ प्रकार के होते हैं।
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जराय्वण्डपोतजानां गर्भ। २-३४ । तत्त्वार्थ १) जरायुज.... जरायु में रहे हुए गर्भ से सो जन्म लेते हैं वे जरायुज कहलाते हैं । २) अण्डज- अंडे के रूप में जो जन्म लेते हैं वे अण्डज प्राणी और ३) पोतज- हाथी आदि जो अण्डे और जरायु के सिवाय भी सीधे जन्म लेते हैं वे पोतज प्राणी कहलाते हैं। जैसे हाथी आदि।
सम्पूर्छन-गर्भोपपाता जन्म । २-३२ । तत्त्वार्थ संमूर्छिम जन्म- जिसमें नर-मादा के किसी भी प्रकार के संयोग की आवश्यकता ही नहीं रहती है। एकेन्द्रिय और दोइन्द्रियवाले जीव तो मात्र उत्पन्न होने के अनुकूल वातावरण मिल जाय तथा अपने स्वजाति के जीवों के पास यथासंभव
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