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________________ REATE चार पैरवाले–चतुष्पद पशु है। ये सभी पंचेन्द्रिय जीव हैं। इनके बाद खेचर आते हैं । ख अर्थात् आकाश। आकाश में उडनेवाले पक्षी सभी खेचर कहे जाते हैं। इनके दोनों हाथ पंख की तरह काम करते हैं । अतः वे पक्षी कहलाते हैं । ये आकाश में स्वैर विहार करते हुए उड सकते हैं। खयरा रोमय पक्खी, चम्मय पक्खी य पायडा चेव। नर लोगाओ बाहिं समुग्ग-पक्खी, वियय पक्खी। पक्षियों में रोमज पक्षीरोमवाले, और चर्मज पक्षी-बिना रोमवाली चमडे के पंखवाले ऐसे दोनों प्रकार के पक्षी होते हैं । ये दोनों प्रकार के पक्षी हमारे मनुष्य क्षेत्र में रहते हैं। स्पष्ट दृष्टिगोचर होते हैं । और नरलोक अर्थात् मनुष्य क्षेत्र के बाहर भी दो प्रकार के पक्षी होते हैं । (प्रथम अध्याय में आगे भौगोलिक वर्णन में अढाई द्वीप सीमित मनुष्य लोक का विचार कर आए हैं, अतः वहाँ से भौगोलिक अभ्यास करके मनुष्य लोक क्षेत्र समझ लेना चाहिए) अढाई द्वीप क्षेत्र के बाहर असंख्य द्वीप-समुद्रों का क्षेत्र है। उसमें दो प्रकार के पक्षी हैं। १) समुद्गक–पक्षी अर्थात् संकुचित पंखवाले। और दूसरे . . . वियय पक्खी = वितत अर्थात् विस्तरित पंखवाले–फैलाए हुए पंखवाले पक्षी . आध्यात्मिक विकास यात्रा tal L HUMAN १८६
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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