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पंचान्हिका जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव
श्री पर्युषण महापर्व में हुई मासक्षमण, २१ उपवास तथा पासक्षमण एवं अनेक अट्ठाइयाँ अट्ठम आदि की अनेकविध तपश्चर्या के सामूहिक पारणे श्री संघ में काफी अच्छी तरह आनन्दपूर्वक सम्पन्न हए। तपश्चर्याओं तथा धर्मचक्र तप के उपलक्ष में श्री संघ में सामूहिक पंचान्हिका जिनेन्द्र भक्ति महोत्सव का आयोजन आश्विन शुक्ल पक्ष में रखा गया। श्री सिद्धचक्रमहापूजन ३ दिन का विश्वशान्ति विधायक नौष्टिक विधान स्वरूप श्री बृहद् अर्हद् महापूजन श्री अक्कीपेठ संघ की धन्य धरा पर सर्व प्रथमबार ही रखा गया। शान्ति स्नात्र महापूजा भी साथ ही साथ पढाई गई। ___ अर्हद् महापूजन में जिनेश्वर परमात्मा के जन्म कल्याणक महोत्सव को विशेषरूप से मनाया गया। श्री वासुपूज्यस्वामी जैन धार्मिक पाठशाला की बालिकाओं ने सुंदर पूर्व तैयारी करके ५६ दिक्कुमारिकाओं का नृत्यभक्ति कार्यक्रम प्रस्तुत किया । सुंदर नए गीतों के साथ रास गरबा आदि के विविध नए नए नृत्यादि किये । पूज्य गुरुदेव ने आभूषण पूजा की महिमा इतनी सुंदर समझाई कि... भक्त वर्ग ने सोने-चांदी के आभूषणों की बरसात बरसाई । और अनेक अंगूठियाँ, बंगडीयाँ, चेन आदि परमात्मा को आभूषण पूजा में चढाए । जिसमें से श्री वासुपूज्यस्वामी भगवान के मुकुटादि आभूषण बनेंगे। ५६ दिक्कुमारिकाओं का नृत्यादि करनेवाली बालिकाओं को पुरस्कारों से सन्मानित किया गया। विधिकार श्रीमान ललितभाई पंडित बम्बई से पधारे थे, एवं श्री हेमेन्द्रभाई शाह अमदावाद से पधारे थे। अनेक चढावों द्वारा देवद्रव्य की वृद्धि का लाभ सबने लिया। श्री वासुपूज्यस्वामी जैन सेवा मण्डल ने अपनी अमूल्य सेवा प्रदान की। सामूहिक क्षमापना समारंभ- -
क्षमायाचना यह प्रत्येक आराधक जैन मात्र का कर्तव्य है, सही धर्म है। श्री अक्कीपेठ जैन संघ के प्रांगण में विशाल प्रवचन मण्डप में सभी सम्प्रदाय-पंथों के समस्त साधु-साध्वीजी एवं श्रावक वर्ग की सामूहिक क्षमापना का समारोह श्री महावीर जैन सेवा केन्द्र ने आयोजित किया। पू. आचार्य देव श्री नयप्रभसूरि म.सा., पू. पंन्यास प्रवर श्री अरुणविजयजी म.सा, पू. मुनि श्री मुक्तिचन्द्र वि.म., मुनि श्री कुमुदचन्द्र वि.म., पू. मुनि श्री नंदिरत्न वि.म., तेरापंथी संत पृ.राजकरणजी म., पू. कान्तिऋषि म, आदि बेंगलोर में विराजमान सभी सम्प्रदायों के सभी साधु-साध्वीजी, श्रावक वर्ग पधारे थे । सबके मननीय प्रवचन हुए । श्रावक वर्ग के भाषण हुए । एकता की विशेष पुष्टि सभी ने की । पू. पंन्यासजी श्री ने वर्तमान कठिन परिस्थिति में समस्त जैनों को मिलकर अपनी एकता बनाए रखने में
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