________________
प्रत्येक महिने की प्रतिपदा- बेसते महीने की शुभ शुरुआत के दिन... नवस्मरणों का पाठ होता है । तथा प्रत्येक रविवार को प्रभात काल में सुरीले मधुर संगीत के साथ सामूहिक रूप से सुन्दर स्नात्र पूजा पढाई जाती है । विविध दाताओं की तरफ से प्रोत्साहक प्रभावनाएँ दी जाती है । विविध प्रकार के प्रोत्साहक पारितोषिक वितरित किये जाते हैं। वार्षिक ईनामी समारोह
धार्मिक पाठशाला के अभ्यासकों की परीक्षा पूज्य गुरुर्दैव पंन्यासजी म.सा., एवं मुनि श्री हेमन्तविजयजी म. ने ली । परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यासकों को पारितोषिक वितरण हेतु - वार्षिक ईनामी समारंभ का सुंदर आयोजन पूज्यश्री की सानिध्यता में किया गया । पाठशाला के बालकों ने सुंदर संवादात्मक बोधप्रदं नाटक, एवं बालिकाओं ने नृत्यादि-गीतादि प्रस्तुत किये। पाठशाला का रिपोर्ट धार्मिक शिक्षक श्रीमान शा. मीठालालजी महात्मा ने पढा, एवं सभा - संचालन कार्य किया। पाठशाला समिति के सदस्यों ने काफी प्रशंसनीय सहयोग प्रदान किया। कई दान दाताओं ने पुरस्कारार्थ राशी भेट की । कई बालक-बालिकाओं एवं महिलाओं को उत्तीर्णता हेतु सुंदर पारितोषिकों द्वारा पुरस्कृत किया गया।
- स्नात्रपूजा हेतु ५६ दिक्कुमारिकाओं को वेशभूषादि पारितोषिक के रूप में भेंट की गई । वाद्ययन्त्रों की साधन-सामग्री कई दानदाताओं की तरफ से पाठशाला को भेंट की गई। आए दिन पाठशाला की बालिकाएं स्नात्र पूजा, वास्तु पूजादि के लिए पूजा पढाने सर्वत्र जाती है । सुंदर संगीत क्लासें भी चलती है । इतनी अल्प अवधि में पाठशाला की इतनी सुंदर प्रगति देखकर समाज ने आनन्द एवं संतोष व्यक्त किया । श्रीमान प्रेमराजजी लूणिया आदि ने सुंदर वक्तव्य दिये । श्री वासुपूज्यस्वामी जैन धार्मिक पाठशाला के बालक विद्यार्थी के रूप में मुमुक्षु धीरज एवं कल्पेश कुमार का सविशेष सन्मान किया गया। प्रत्युत्तर में दोनों मुमुक्षुओं ने काफी सुंदर वक्तव्य दिया। श्री पर्युषण महापर्व की अद्भुत आराधना- . __ पर्वाधिराज श्री पर्युषण महापर्व के आगमन पूर्व ही प्रत्येक जैन मात्र आबाल-गोपाल सभी का मन-मयूर नाच उठता है । पू. पंन्यासजी महाराज जैसे विद्वद्वर्य महाराज की सानिध्यता में पर्वाधिराज की आराधना करनी थी। पूज्यश्री ने विशेषरूप से अष्टान्हिका के प्रवचन सुबह एवं दोपहर दो समय अलग से समझाए । साथ ही स्वतंत्र रूप से साधर्मिक भक्ति के लिए सुंदर योजना पूर्वक फण्ड एकत्र किया गया।
13