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नहीं पडी । परन्तु कुम्हार की तरह यदि मिट्टी से घडा बनाने की तरह ईश्वर की पृथ्वी–पर्वतादि बनाने विषयक क्रिया का कोई ख्याल स्पष्ट नहीं आ पाता है । मिट्टी तो तैयार ही है । उसे लेकर कुम्हार घडा बना सकता है । लेकिन कुम्हार मिट्टी नहीं बनाता है । ईश्वर भी तैयार परमाणुओं को लेकर फिर कुम्हार की तरह पृथ्वी बनाता है ? तो फिर इतने परमाणुओं को किसने बनाया ? क्या परमाणुओं को बनाने के लिए कोई अन्य ईश्वर मानें ? और फिर उस ईश्वर को बनाने वाला किस को मानें ? फिर वापिस अनवस्था दोषापत्ति आकर खडी रहेगी। इस तरह ईश्वर कर्तृत्व पक्ष दोषों से भरा ही सिद्ध होगा । अतः इन दोषों से बचने के लिए क्या करें ?
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दूसरी तरफ परमाणुओं को नित्य बताया जाता है तो फिर नित्य पदार्थों की उत्पत्ति का प्रश्न ही कहाँ खड़ा होता है ? यदि उत्पत्ति माने तो नाश भी मानना ही पडेगा । और उत्पत्ति-नाश आया तो फिर अनादि - अनुत्पन्नपना कैसे आएगा? और इनके अभाव में नित्यता कैसे रहेगी ? और यदि पार्थिव परमाणुओं की ही नित्यता नहीं सिद्ध हो सकेगी तो ईश्वर बनाएंगे कैसे ? यदि परमाणुओं की अनित्यता मानें तो प्रथम ईश्वर के लिए परमाणु बनाने की बात बैठानी पडेगी । फिर उन परमाणुओं के संमिश्रण से इस पृथ्वी-पर्वत की उत्पत्ति माननी पडेगी । यदि यह पक्ष भी मानने जाएँ तो ... परमाणुओं की उत्पत्ति किस घटक द्रव्य में से की ? परमाणुओं के पहले तो कुछ भी नहीं था ? शून्य ही था । तो क्या शून्य से यह सारी सृष्टि उत्पन्न मानें ? पृथ्वी - पर्वत - समुद्र - आकाश आदि सभी पदार्थों की उत्पत्ति क्या शून्य से मानें ? तो फिर शून्य क्या है ? शून्य सत् है या असत् ? भाव पदार्थ है या अभाव पदार्थ ? तो क्या अभाव से भाव की उत्पत्ति होती है ? शून्य से जगत् का सर्जन मानें ? अभाव से भाव पदार्थ की उत्पत्ति मानें ? यह सब असंभव को संभव करने की बातें हैं । असत् से सत् की उत्पत्ति मानने के लिए कोई आधार नहीं मिल रहा
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है । फिर तो आकाशादि सभी पदार्थों की उत्पत्ति असत् - अभाव से ही माननी पडेगी । क्योंकि परमाणुओं की सत्ता ही सिद्ध नहीं होती है । अब बिना परमाणुओं के असत्-अभावात्मक शून्य में से ईश्वर के लिए पृथ्वी - पर्वतादि बनाने की क्रिया क्या होगी ? कैसी होगी ? क्रिया का भी अस्तित्व मानना या नहीं मानना ? यह भी प्रश्न खडा होता है । मिट्टि है तो ही कुम्हार घडा बनाने की क्रिया कर सकता । लेकिन मिट्टी-पानी आदि द्रव्यों के सर्वथा अभाव में घड़े को उत्पन्न करने की क्रिया कुम्हार कैसे करेगा ? क्या करेगा ? फिर वही जादुई सृष्टि की बात फिर खड़ी होगी । कुरान में तो इस्लाम ने यह सब लम्बी झंझट न रखते हुए ... बस, जादूई सृष्टि ही मान ली है । अल्ला खुदा ने ... “कुंद” या ऐसा कुछ कह दिया- बोल दिया और बोलते सब सृष्टि बन गई। उनके यहाँ तो इस
सृष्टिस्वरूपमीमांसा
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