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________________ ठीक है कि उत्पन्न हो । जैसे-कई लोग मिलकर एक मकान बांधने की क्रिया करते हैं। उस क्रिया में सहायक घटक द्रव्य भी तो है ही। ईंट-चूना-मिट्टी-रेती-कंकड-सिमेंट-पानी आदि पदार्थों की उपयोगिता अनिवार्य है । व्यक्ति कर्ता है । वे मिश्रण की क्रिया करके... फिर उस घोल को ढाँचे में ढालने की क्रिया करेंगे तब जाकर उस क्रिया के फलस्वरूप भवन का निर्माण होता है । तो क्या ईश्वर भी इसी तरह की क्रिया करके ही सृष्टि की रचना करता है ? तो वह क्रिया किस प्रकार की? और उस क्रिया में सहायक घटक द्रव्य कौन से हैं? फिर ऐसी कौनसी क्रिया की, किस प्रकार की क्रिया थी? ईश्वर ने अकेले ही सारी क्रिया की या फिर अनेकों ने साथ मिलकर क्रिया की? या क्या हुआ? कि जिसके परिणाम स्वरूप इस सृष्टि का निर्माण हुआ । उदाहरण के लिए हिमालय या समुद्रादि लीजिए... पृथ्वी आदि लीजिए । क्योंकि ये ही आसान कार्य लगते हैं । इसलिए शायद इसकी संभावना लगती है कि ईश्वर ने किया है। क्योंकि आत्मा-आकाशादि पदार्थों की रचना का यदि विचार करेंगे तो क्रिया और घटक द्रव्य दोनों की असंभावना स्पष्ट प्रतीत होगी। इसलिए आसान सरल पदार्थ पृथ्वी-पहाड समुद्र-नदियाँ आदि का विचार किया जाय। - पहाड-पर्वत कैसे बनते हैं ? इसके लिए कैसे घटक द्रव्यों की आवश्यकता है? और फिर किस प्रकार की क्रिया अपेक्षित है । इनका विचार आवश्यक है । यदि सिर्फ.. यही कहा जाय कि... ईश्वर की लीला का... क्रिया का विचार मानवी कर ही नहीं सकता है । तो फिर इन बातों से निरर्थकता सिद्ध हो जाएगी। विज्ञान ने बताया कि... हाइड्रोजन और ओक्सीजन के परमाणुओं का निश्चित संख्या में संमिश्रण होने पर पानी निर्माण होता है । अतः ये पानी के (H2O) घटक द्रव्य हैं। और संमिश्रण की क्रिया से पानी निर्माण होता है । वहाँ वहाँ उन घटक द्रव्यों को इकट्ठे करनेवाला-फिर मिश्रण की क्रिया करके बनानेवाला कहाँ कौन देखा गया है ? आप प्रयोग शाला में बना सकते हो । पानी के विषय का यह सिद्धान्त गलत-झूठा सिद्ध नहीं होगा। लेकिन बादलों से बरसता हुआ पानी.. जो बनता ही जाता है, वहाँ कौन बैठा है जो इन घटक द्रव्यों को इकट्ठे करें, और मिश्रण की क्रिया सतत करता रहें, फिर निर्माण करके ऊपर से बरसाता रहे । ऐसा कोई कर्ता देखा नहीं गया है । पाया नहीं गया है । इसी तरह स्थल भाग पर मदी-तालाब-समुद्र बनें.... पृथ्वीतल के नीचे से पानी निकलता है और कुएँ-बावड़ियों के स्रोत से पानी ऊपर आता है । तो पृथ्वी के नीचे बडी विशाल ऐसी प्रयोगशाला लेकर कोई बैठा हो यह भी संभव नहीं है। इसी तरह नदी सृष्टिस्वरूपमीमांसा ७९
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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