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अचला कहते हैं वह सदा ही स्थिर है उसे चलायमान होने का - - चलने का कोई कारण ही नहीं है । पृथ्वी सदा ही स्थिर रहती है । १ लाख योजन की इस पृथ्वी के बीचोबीच मेरुपर्वत है । वह भी १ लाख योजन ऊँचा है। बस इसके चारों तरफ ये सूर्य-चन्द्र-ग्रह-नक्षत्र —– तारा आदि सभी गोल-गोल प्रदक्षिणा देते हुए घूमते ही रहते हैं । निरन्तर – सतत-अविरत अखण्डगति से घूमते ही रहते हैं। ये चर ज्योतिष्क देवता हैं । इनके विमान चर जाती के होने के कारण नियतगति से घूमते ही रहना है । विज्ञान ने पृथ्वी को अपनी धरी पर घूमती हुई चलती - चलती सूर्य की प्रदक्षिणा करती हुई बताई है । जो १ वर्ष में सूर्य की १ प्रदक्षिणा पूरी करती है । और चन्द्र पृथ्वी के चारों तरफ प्रदक्षिणा करता रहता । अन्य ग्रहमाला भी इसी तरह सूर्य के चारों तरफ परिभ्रमण करते ही रहते हैं जबकि जैन शास्त्रों की उपरोक्त मान्यता के सामने विज्ञान की मान्यताएं सर्वथा भिन्न ही हैं । परन्तु विज्ञान के कई तर्क और युक्तियाँ कसोटी पर टिकनेवाली नहीं हैं। वैसे भी विज्ञान अपूर्ण है और परिवर्तनशील है । इसीलिए विज्ञान की विचारधारा बदलती ही रहती है। अभी भी सौरमण्डल, एवं आकाश गंगा के रहस्य पूरे नहीं खोल पा रहा है। विज्ञान । विज्ञान ने भी अनेक सूर्यों की अनेक चन्द्रों की बात को समर्थन दिया है । आकाश गंगा काफी रहस्यों से भरी पडी है। जैन आगम शास्त्रों में सर्वज्ञ कथितं सिद्धान्तों का खजाना है । ये सर्वज्ञोक्त सिद्धान्त सत्य की सीमा को स्पष्ट करते हैं । ये चरम सत्य के सिद्धान्त सदा ही अपरिवर्तनशील हैं। सिद्धान्त वही है जो सदा अपरिवर्तनशील रहे-तो ही वह चरम सत्य कहलाता है। त्रैकालिक सत्य कहलाता है । अतः सिद्धान्त कभी भी बदलता नहीं है । और जो बदलता ही रहता है वह कभी सिद्धान्त कहलाने योग्य ही नहीं होता है ।
Science is ever changeable while the philosophical principles are never changeable . . .they are permanent.
वर्तना कारक-काल तत्त्व
वर्तना परिणामः क्रिया परत्वाऽपरत्वे च कालस्य ।। ५-२२ ।।
तत्त्वार्थाधिगम सूत्रकार काल के विषय में स्पष्ट लिखते हैं कि... काल कोई स्वतन्त्र द्रव्य नहीं है । तथा यह पंचास्तिकाय के अन्तर्गत गिना भी नहीं गया है, क्योंकि यह प्रदेश समूहात्मक पिण्ड स्वरूप द्रव्य नहीं है। इसलिए अस्तिकायरूप द्रव्य की व्याख्या इस काल के साथ न लगने से यह अस्तिकाय की गिनती में नहीं आ सकता है । यद्यपि षड्
आध्यात्मिक विकास यात्रा
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