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________________ की लंबाई-चौडाई १ योजन का एक सट्ठीया २८ भाग और ऊँचाई १४/६१ भाग है । सूर्य के विमान की लंबाई ४८/११ योजन, चौडाई-२४/११ योजन है । १२/६१ भाग ऊँचाई है । ग्रहों की लम्बाई १/२ योजन, और चौडाई १/४ योजन तथा ऊँचाई आधा गाऊ है । नक्षत्रों की १/४ योजन लम्बाई और १/४ योजन चौडाई, तथा १/४ गाऊ की ऊँचाई है । तारा गण की १/८ योजन लम्बाई तथा १/१२ योजन की चौडाई है । तथा १/८ (२५० धनुष) प्रमाण ऊँचाई है। गति के बारे में-बृहत् संग्रहणी सूत्र में कहा है कि- इन पाँचों ज्योतिष्क मण्डल के देव विमानों में चन्द्रमा की गति सबसे ज्यादा मन्द (कम) है । चन्द्र से ज्यादा गती वाला सूर्य है । सूर्य से भी ज्यादा तेज गति वाले ग्रह हैं । इन ग्रहों में भी बुध नामक ग्रह ज्यादा तेज गतिवाला है । बुध से भी ज्यादा तेज गति शुक्र चलता है । शुक्र से भी तेज मंगल, और मंगल से भी तेज बृहस्पति (गुरू), और गुरू से भी तेज शनि ग्रह चलता है । इन ग्रहों से भी ज्यादा तेज नक्षत्र चलते हैं। और अन्त में नक्षत्रों से भी ज्यादा तेज गति से तारागण चलते हैं । इनमें सबसे अधिक ऋद्धि-सिद्धि वाला चन्द्र है । सूर्य इससे थोडी कम ऋद्धि वाला है । इसके बाद ग्रह मण्डल सूर्य से भी कम ऋद्धिवाला है । बाद में तारा और नक्षत्र उससे भी कम ऋद्धिवाले देवता हैं। सूर्य-चन्द्रादिकृत काल व्यवस्थातत्त्वार्थ सूत्रकार ने सूत्र देकर कहा है कि तत्कृतः कालविभागः ॥४-१५ ॥ ये जो सूर्य-चन्द्रादि ज्योतिष्क मण्डल के देवताओं के विमान निरंतर गति करते हैं इनके द्वारा सारी काल व्यवस्था होती है। अतः काल का विभाग इनके कारण है। 'ज्योतिः' शब्द प्रकाश अर्थ में है। ___ “अत्यन्तप्रकाशित्वाज्ज्योतिःशब्दाभिधेयानि विमानानि तेषु भवा ये देवास्ते ज्योतिष्काः" अर्थात् अत्यन्त प्रकाश (ज्योतिः) करनेवाले होने से ज्योतिः शब्द द्वारा कहने योग्य विमान वह ज्योति.कही जाती है। और ऐसे विमानों में बसनेवाले देवताओं को ज्योतिषी देवता कहते हैं। ये ज्योतिषी देवगण अत्यन्त ज्वलन्त तेजवाले दैदीप्यमान कान्तिवाले दिग्मण्डल को अपनी तेज-प्रभा से उज्वल तेजमय करने वाले प्रकाश से भरनेवाले हैं। इन सूर्य-चन्द्रादि की निरंतर-नियमित गतिशीलता के आधार पर काल आध्यात्मिक विकास यात्रा
SR No.002482
Book TitleAadhyatmik Vikas Yatra Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherVasupujyaswami Jain SMP Sangh
Publication Year1996
Total Pages496
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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