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क्षेत्र लघुहिमवंत एवं महाहिमवंत पर्वतमाला का मध्यवर्ती क्षेत्र है। यहाँ भी मनुष्यों की काफी बस्ती है । इसके भी आगे उत्तरी दिशा की तरफ आगे बढ़ते हुए महाहिमवंत पर्वतमाला से उत्तर दिशा में निषध नामक पर्वतमाला जो कि पूर्व से पश्चिम तक फैली हुई है । उसके बीच में... हरिवर्ष क्षेत्र है । यहाँ युगलिक मनुष्यों की काफी जनसंख्या है।
इसके बाद निषध पर्वतमाला से और उत्तर दिशा में आगे... नीलवंत नामक पूर्व से पश्चिम तक प्रसरी हुई काफी पर्वतमाला है । इन दोनों पर्वतमाला के बीच में महाविदेह क्षेत्र है । ३२ विदेहों से युक्त यह इस पृथ्वी का मध्यवर्ती विशाल क्षेत्र है । यहाँ तो हमारी दुनिया से भी दस गुनी बडी विशाल दुनिया है । वर्तमान भौगोलिकों के लिए... आज दिन तक भी यह प्रश्न चिन्ह ही है । शायद हजारों सालों तक भी प्रश्न चिन्ह बना रहे तो भी कोई आश्चर्य नहीं लगेगा । यहाँ महाविदेह क्षेत्र की दुनियाँ में काफी लम्बी चौडी मनुष्यों की बस्ती है । यहाँ की क्षेत्र-काल-व्यवस्था आदि हम लोगों को चौकानेवाली है। इसके बीच मेरूपर्वत है।
नीलवंत पर्वतमाला से ... रुक्मी पर्वतमाला से, जो पूर्व से पश्चिम की तरफ फैली हई विशाल पर्वतमाला है, इन दोनों के बीच भी रम्यक क्षेत्र है । यहाँ भी काफी लम्बी चौडी दुनिया है । रुक्मी पर्वतमाला से शिखरी पर्वतमाला जो पूर्व से पश्चिम तक फैली हई विस्तृत पर्वतमाला है इनके बीच में हिरण्यवंत क्षेत्र आया हुआ है । यहाँ क्षेत्र शब्द भी देशवाची है । यहाँ भी मनुष्यों की काफी विशाल दुनिया है।
उत्तर दिशा में शिखरी पर्वतमाला से लवण समुद्र की उत्तरी सीमा जंबूद्वीप की उत्तरी परिधी तक ऐरावत क्षेत्र बसा हुआ है । यह क्षेत्र भी ठीक भरत क्षेत्र के जैसा ही है । इसके बीच में दीर्घ वैताढ्य पर्वत होने से उत्तरी ऐरावत और दक्षिणी ऐरावत क्षेत्र ऐसे दो भाग होते हैं। और रक्ता तथा रक्तवती नदियों के कारण पुनः ६ भाग होते हैं। देश-क्षेत्र कालादि की सारी व्यवस्था हमारे यहाँ के भरत क्षेत्र के जैसी ही है। सिर्फ अन्तर इतना ही है कि भरत क्षेत्र दक्षिण दिशा में है जबकि ऐरावत क्षेत्र उत्तर दिशा में है। यहाँ भी ६ खण्ड में मनुष्यों की काफी लम्बी चौडी जनसंख्या है । इस तरह जंबूद्वीप की इस पृथ्वी का भौगोलिक वर्णन यहाँ पर संक्षेप में दिया है । परन्तु विस्तार से जाननेवाले जिज्ञासुओं को ऊपर जो नाम दिये हैं उन ग्रन्थों का विशेष अभ्यास करना चाहिए।
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आध्यात्मिक विकास यात्रा