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________________ (सच्चा), और उभय रूप से मानना श्रद्धा भी सम्यग् (सच्ची) होती है । अतः वह सच्चा सम्यक्त्वी होता है। अतः देखने, जानने और मानने की तीन रीतियों से जिसने अपनी वृत्ति सम्यक् बनाई है वह सच्चा सम्यक्त्वी है। ऐसा सम्यक्त्वी जो सम्यग् ज्ञानी है, जो प्ररूपणा प्रतिपादन करेगा, उसमें भी सत्य, पानी पर तेल की तरह तैरता हुआ, स्पष्ट दिखाई देता है, सम्यक्त्वी का सम्यग्ज्ञान और सम्यक श्रद्धा किसी से छिपी नहीं रह सकती है। वह जीवादि सभी तत्वों को तथा देव-गुरु-धर्मादि के स्वरूप को उसी अर्थ एवं स्वरूप में देखेगा, जानेगा व मानेगा, जिस स्वरूप में जीवादि तत्व या देव-गुरु-धर्मादि हैं । तत्व पदार्थ के यथार्थ वास्तविक स्वरूप से सम्यक्त्वी के देखने, जानने, मानने एवं कहने में विसंगतता एवं विषमता कभी भी नहीं आवेगी । हमेशा सुसंगतता एवं सुसंवादिता ही रहेगी, क्योंकि तत्व पदार्थ का जैसा वास्तव में स्वरूप है, उसे सम्यक्त्वी तनिक भी परिवर्तन किए बिना वैसा यथार्थ ही मानता है. जानता है और देखता है। अतः कथन भी वैसा यथार्थ वास्तविक ही करेगा । विपरीत प्ररूपणा मिथ्यात्वी कर सकता है, सम्यक्त्वी कदापि नहीं कर सकता है । देव-गुरु-धर्म का सही स्वरूप या देवे देवता बुद्धिः गुरौ च गुरुतामतिः। धर्मे धर्म धीर्यस्य सम्यक्त्वं तदुदीरितम् ।। वास्तव में जो देव-देवाधिदेव भगवान है, उनमें ही भगवानपने की, देवपने की बुद्धि रखे तथा वास्तव में सही अर्थ में जो कंचन-कामिनी के त्यागी, पंच महाव्रत धारी, संसार के त्यागी साधु-मुनि महात्मा है, उनमें ही गुरुपने की बुद्धि रखें तथा जो सर्वज्ञ कथित (सर्वज्ञोपदिष्ट) धर्म है, उसमें ही धर्म बुद्धि रखें उसे सम्यक्त्व कहते हैं । ___ भगवान का जो सर्वज्ञ-वीतरागी स्वरूप जो पहले कहा जा चुका है, उसी में भगवानपने की सम्यग् बुद्धि रखनी, उसी तरह गुरु से भी जो सच्चे गुरु हैं उनमें ही गुरुपने को यथार्थ सम्यग् बुद्धि रखनी, अर्थात् जो सर्वज्ञ, वीतरागी भगवान के बताये हुए मार्ग पर चलते हैं, उन्हें ही गुरुबुद्धि से गुरुपने के रूप में मानना यही सच्ची सम्यक्त्वी मान्यता है। ठीक इसी तरह धर्म भी कौनसा ? और कैसा मानें ? इस कर्म की गति न्यारी
SR No.002481
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherJain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha
Publication Year
Total Pages132
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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