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________________ "अब पछताये क्या होता है, जब चिड़िया चुग गई खेत ।” प्रभु महावीर को प्रश्न एक बार की बात है । समवसरण में श्री वीरप्रभु की देशना के बाद जयन्ती श्राविका ने प्रभु को प्रश्न पूछा कि - हे कृपानाथ ! इस संसार में किसका सोना अच्छा है ? और किसका जागना अच्छा है ? उत्तर देते हुए भगबान महावीर ने फरमाया कि "जागरिया धम्मिणं, अधम्मिणं तु सुत्तया सेया ।" धर्मी आत्माओं का जागना अच्छा, और अधर्मी आत्माओं का सोते हुए रहना अच्छा है क्योंकि धर्मी जागता रहेगा तो पाप नहीं करेगा, धर्म का ही आचरण तथा प्रचारप्रसार करेगा । जबकि अधर्मी यदि जागता रहेगा तो पाप करता रहेगा, कइओं को अपने पाप में सहभागी बनाएगा । इस तरह अधर्मी बहुत अनर्थ करेगा । अतः धर्मी का जागना, और अधर्मी का सोते रहना स्व-पर उभय के लिए लाभदायक रहेगा । परन्तु आज इस कलयुग में ठीक इससे विपरीत देखा जा रहा है । धर्मी सो रहे हैं, और अधर्मी जाग रहे है । अब आप ही सोचिये कि क्या परिणाम आयेगा ? अधर्मी के जागते रहने से पापाचार बढ़ता रहेगा, और धर्मी के सोते रहने से धर्माचरण घटता रहेगा । कलियुग में यही प्रमाण बढ़ता है। वर्तमान जगत् में ठीक विपरीत यही दृश्य हम देख रहे हैं, अतः आज भयंकर कलयुग चल रहा है। यह कहने में रत्ती - भर भी संदेह नहीं होता है । 1 आरोग्य की दृष्टि से निद्रा यद्यपि निद्रा कर्मोदय जन्य है, एवं कर्मबंध कारक है, तथापि आरोग्य की दृष्टि से उचित समझकर भी हम नींद लेते है । हर वस्तु यदि प्रमाण में रहे तो ही लाभदायी होती है । अतः निद्रा भी यदि सीमित परिमित एवं मर्यादित रहे वहां तक ही उचित है । जैसा कि कहते हैं ४४ "Early to bed and Early to rise, makes a man healthy, wealthy and wise. " वहेला सूवे अने वहेला ऊठे ते वीरं । बल बुद्धि धन वघे ने सुख मां रहे शरीर ॥ कर्म की गति न्यारी
SR No.002480
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherJain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha
Publication Year
Total Pages68
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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