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________________ श्री महावीर - ॐ श्री सुमतिनाथाय नमः // प. पू. मुनिराज श्री अरुणविजयजी महाराज आदि मुनि मण्डल के वि० सं० 2043 के चातुर्मास में श्री जैन श्वेताम्बर तपागच्छ संघ जयपुर द्वारा सर्व प्रथमबार आयोजित चातुर्मासिक रविवारीय धार्मिक शिक्षण शिविर __ में चल रही रविवासरीय सचित्र त्याख्यानमाला + “कर्म की गति न्यारी' के विषयक प्रवचन शृङ्खला की प्रस्तुत यह पाँचवी पुस्तिका स्व. श्री मूलचन्दजी सा., हिम्मतमलजो सा. एवम् श्रीमती मीराबाई सा. की स्मृति में उनके सुपुत्र ज्ञान प्रेमी, सतत नवकार मंत्र आराधक बारहव्रतधारी श्री राजमलजी सिंघी बी.ए.एलएलबी, डिप.एलएसजी सेवा निवृत्त विभाग राजस्थान पुत्र वधु सुन्दर, डा. प्रकाश एम.डी. पौत्र वधु मृदुर न, विशाल, गौरव श्री जैन श्वताब | पागच्छ संघ, जयपुर ने मुद्रित करवाकर प्रकाशित की है / मुद्रक : अजन्ता प्रिण्टर्स, घी वालों का रास्ता, जौहरी बाजार, जयपुर-302003
SR No.002479
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherJain Shwetambar Tapagaccha Sangh Atmanand Sabha
Publication Year
Total Pages76
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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