SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 52
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कोई अमीर है तो कोई गरीब है। कोई बंगले में है तो कोई झोंपड़ी में है। कोई राजमहल में है तो कोई फुटपाथ पर है । कोई हसमुख है तो कोई रोता हुआ है। कोई सज्जन है तो कोई दुर्जन है। कोई बुद्धिमान चतुर है तो कोई बुद्ध मूर्ख है। : कोई साक्षर विद्वान है तो कोई निरक्षर भट्टाचार्य है । कोई सीधा-सादा सरल है तो कोई मायावी कपटी है। कोई भोला-भाला भद्रिक है तो कोई छलकपट करने वाला प्रपंची है । कोई सन्तोषी है तो कोई लालचु है । कोई निर्लोभी है तो कोई लोभी है । कोई उदार दानवीर है तो कोई उधार लेकर भी कृपण है। कोई धनवान सम्पन्न है तो कोई निर्धन विपदा में है । कोई साधार सशरण है तो कोई निराधार अशरण है । कोई गोरा सुन्दर रूपवान है तो कोई काला कुरूप है। कोई निरोगी हृष्ट-पुष्ट है तो कोई रोगी दुर्बल देह है । कोई सर्वाङ्ग सम्पूर्ण है तो कोई विकलांग है । कोई मोटा ताजा मस्त है तो कोई दुबला-पतला त्रस्त है । कोई समझदार है तो कोई नासमझ नादान है । कोई मन्दमति मूढ़ है तो कोई तीव्रमति चपल है । कोई लम्बा लम्बूचन्द है तो कोई बौना वामन है । कोई ज्ञानी है तो कोई अज्ञानी है । कोई वैरागी है तो कोई रागी है। कोई सबल है तो दूसरा निर्बल है। कोई क्षमाशील शांत है तो कोई क्रोधातुर आग है । कोई नम्र-विनम्र विनयी है तो कोई अकड अविनयी है। क्रम की गति न्यारी ५२
SR No.002478
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 02 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy