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करने शुरू कर दिये । भोग-विलास में मस्त हो गया । "खाओ - पिओ और मौज करो" का सिद्धांत अपना लिया । जीवन स्तर गिरता गया । धीरे-धीरे हिंसा-झूठचोरी - दुराचार - व्यभिचार आदि सभी पाप आ गए। पाप की प्रक्रिया कुछ ऐसी ही है । एक पाप दूसरे पाप से जुड़ा हुआ है । जैसे मानों जंजीर की तरह । अत: एक पाप के पीछे दूसरा, दूसरे के पीछे तीसरा, तीसरे के पीछे चौथा पाप आकर खड़े हो जाते हैं । इस तरह अठारह ही पाप आ जाते हैं। छोटे भाई का जीवन ही बदल गया । पूरा पलट ही गया। दोनों बदल गए । एक अधर्मी से पूरा धर्मी बना, और दूसरा धर्मी से अधर्मी बना ।
संख्या का प्राश्चर्यकारी गणित -
कुछ वर्षों बाद वे ही केवलज्ञानी महात्मा पुनः मिले। दोनों भाई पुनः पूछने गए । हे कृपानाथ ! आपने हमारी भावि भव संख्या के बारे में पहले भी बताया था । बड़े के असंख्य भव तया छोटे के ७ भव । हे प्रभु! आप तो त्रिकालज्ञानी है अतः आपका वचन बदल तो नहीं सकता है । परन्तु प्रभु फिर भी हमारे मन में थोड़ी द्विधा है | अतः पुन: कहिए । केवली प्रभु ने कहा कोई फरक नहीं है । संख्या जो मैने बताई है वही रहेगी । दोनों भाईयों ने अधिक स्पष्ट करने के लिए पुनः पूछा कि हे प्रभु ! अब यह बताइये कि दोनों में से कौन पहले मोक्ष में जाएगा ? ७ भव वाला कि असंख्य भव वाला ? ऐसा प्रश्न पूछना भी मूर्खता है ऐसा हमको हमारी दृष्टि से लगता है | हम सभी सोचते हैं तो सीधा स्पष्ट दिखाई देता है कि –७ भव वाला पहले मोक्ष में जाएगा और असंख्य भव वाला काफी बाद में जाएगा । यह तो दीपक की तरह स्पष्ट बात है इसमें क्या पूछना ? लेकिन हम अल्पज्ञ है । हमने हमारी अल्प बुद्धि से यह उत्तर ढूंढ निकाला है । परन्तु सर्वज्ञ केवलज्ञानी का उत्तर कुछ और ही था । उन्होने अपने अनन्तज्ञान से देखते हुए स्पष्ट कहा कि असंख्य भवं वाला बड़ा भाई तो पहले मोक्ष में जायेगा, बहुत जल्दी ही मोक्ष में जायेगा । परन्तु ७ भव वाला छोटा भाई बहुत देरी से बाद में मोक्ष में जायेगा ।
यह सुनकर छोटे भाई के तो होंश खोंश उड गए । पूछा क्योंजी महाराज ! यह कैसे सम्भव है ? बात तो सीधी दिखाई देती है कि ७ भव ही छोटी संख्या है, और असंख्य भव तो बहुत बड़ी संख्या है । तो फिर असंख्य भव वाला पहले कैसे मोक्ष में जा सकता है ? इस विषय में केवलज्ञानी महापुरुष ने बताया कि संख्या में तो छोटी-बड़ी की बात तुम्हारी सही है । लेकिन भव कितने बड़े और कितने छोटे यह तुमने नहीं सोचा । तुम्हारे ७ भव इतने बड़े-बड़े दीर्घायुष्य के होंगे और असंख्य
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कर्म की गति न्यारी
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