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भव में आना-जाना - आवागमन आत्मा करती है। प्रश्न यह है कि मृत्यु के बाद जीव को एक शरीर छोड़कर दूसरी गति में अपने गन्तव्य जन्मस्थान तक पहुँचने में कितना समय लगता है ? घर में कोई मरा - किसी की मृत्यु के बाद शव अभी घर में पड़ा है । अभी श्मशान यात्रा नहीं निकाली है। उसका बेटा कलकत्ता से सुबह तक आ जाएगा । अतः एक दिन, डेढ दिन तक शव पड़ा रखा है । अन्त्येष्टि नहीं की है । तो क्या तब तक एक दिन या डेढ़ दिन आत्मा रुकी रहेगी ? दूसरी गति में नहीं जाएगी ? जन्म नहीं लेगी ? नहीं ! आपकी अपनी धारणा चाहे जो भी हो जैसी भी हो जीव को यह नहीं देखना है । आप श्मशान यात्रा निकालो या न निकालो, जल्दी निकालो या देरी से निकालो । जलाओ या मत जलाओ । आत्मा को कोई संबंध नहीं है । जिस क्षण आत्मा ने देह छोड़ा उसी क्षण आत्मा रवाना हो गई । स्वोपार्जित कर्मानुसार जहां जन्म लेना है । उस गन्तव्य स्थान में पहुँच गई । जाने की इस क्रिया में आत्मा को कितना समय लगता होगा ? १-२ मिनिट या १-२ सेकेण्ड ? जी नहीं । द्रुतगामी पलक में जानेवाली आत्मा जो कि अदृश्य अरूपी है हम उसके बारे में क्या बतावें ? यह तो सर्वज्ञ केवलज्ञानी भगवान का विषय है । अनन्तज्ञानी महापुरुष फरमाते है कि आत्मा को अपने दूसरे जन्मस्थान तक पहुँचने में सिर्फ २-३-४ समय ही लगते है । समय यह काल की अंतिम इकाई है । परमाणु जैसे पुद्गल पदार्थ का सूक्ष्मतम अछेद्य, अभेद्य अदाह्य स्वरूप है । अन्तिम इकाई । उसी तरह काल भी अजीव पदार्थ है । दिन-रात - मास - वर्षादि _ के भेद - प्रभेद है । उसीका सूक्ष्मतम अभेद्य अछेद्य अन्तिम स्वरूप है – 'समय' | जो काला की तरह में अन्तिम इकाई है - वहू समय कहलाता है । सर्वज्ञ भगवन्त इनकी गणना करते हुए कहा कि प्रांख की पलक में अर्थात् आंख एक बार टिम - टिमाते हैं इतने में असंख्य समय बीत जाते हैं । एक बार की आंख की पलक में जो असंख्य समय बीत जाते हैं उसमें से २, ३ या ४ समय में आत्मा १ शरीर को छोड़कर ४ गति में से किसी १ गति में निश्चित जन्मयोनि में पहुँचकर जन्म धारण कर लेती है । अर्थात् माता की कुझी में जन्म स्थान में स्थित होकर देहरचना आदि का कार्य प्रारम्भ कर देती है । सिर्फ इतने से समय मात्र काल में ।
समय की सूक्ष्मता की कल्पना कीजिए "उदाहरणार्थ १००० पेज की पुस्तक को मशीन से पिन लगाते हैं । कितना समय लगता है ? मशीन से यह कार्य एक झटके में हो जाता है । उत्तर में १ सेकंड समय लगा । ठीक है । अब बताइए कि - १ पेज से दूसरे पेज में जाने के लिए उसी पिन को कितना समय लगा ? १ सैकण्ड में १००० पेज में पिन गईं तो १ पेज से दूसरे पेज में जाने में १ सैकण्ड का हजारवां भाग काल लगा । सेकंड का हजारवां भाग समय कितना होता है ? इसके लिए
कर्म की गति न्यारी
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