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________________ में शक्कर डाली जा रही है । दूध में बाहर से शक्कर का आना यह आश्रव मार्ग है। वैसे ही बाहर से कार्मण આઝવ બંધ वर्गणाओं का आत्म प्रदेश में आना यह आश्रव है। परन्तु शक्कर के आने मात्र से ही दूध मीठा नहीं हो जाता । एक मां ने बेटे को चीनी डालकर एक ग्लास दूध पीने के लिए दिया। परन्तु दूध फीका लगते ही बेटे ने पीने से इन्कार कर दिया और रोने लगा दूध फीका है मैं नहीं पीऊंगा। मां कहती है फीका नहीं है मीठा है । मैंने बहुत ज्यादा चीनी डाली है । बेटा कहता है । बिल्कुल चीनी नहीं है । मां बेटे के बीच के संघर्ष को पिता ने सुलझाया । एक चम्मच लेकर ग्लास में खूब हिलाया। २ मिनिट में शक्कर पिघल गई । बेटा मीठा दूध पीकर खुश हो गया। जो हिलने की क्रिया करके दूध-शक्कर को एक रस बनाया गया, शक्कर सर्वथा पिघल गई और दूध में मिल गई-मिश्रित हो गई, उसी तरह बाहर से आई हुई कार्मण वर्गणा आत्म प्रदेशों के साथ मिल कर, मिश्रित होकर एक रस बन जाय उसे बंध तत्त्व कहते हैं । दूसरे चित्र में एक प्याले में पांच ग्लासों का पानी+दध मिश्रित किया जा रहा है। पांचों ग्लासों में अलग-अलग द्रव्य है। किसी में दूध तो किसी में पानी है । सभी का मिश्रण एक प्याले में हो रहा है । एक प्याले में भिन्न-भिन्न पदार्थों के आगमन की क्रिया को आश्रव कहते हैं। उसी तरह आत्मरूपी एक प्याले में इन्द्रियाश्रव आदि पांच द्वारों से कार्मण वर्गणा का जो आगमन होता है वह आश्रव कहलाता है। परन्तु प्याले में पांचों ग्लासों का द्रव्य एकत्र हो गया। मिश्रित हो गया। अब दूध-अलग-पानी-अलग-चीनी-अलग-इस तरह अलग-अलग नहीं दिखाई देंगे। चीनी पिघलकर दूध-पानी में मिलकर तदाकार बन गया है। यह मिश्रण अब एकाकार दिखाई देगा। ठीक इसी तरह भिन्न-भिन्न इन्द्रियाश्रवादि आश्रव मार्गों कर्म को गति न्यारी १४१
SR No.002478
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 02 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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