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________________ परन्तु इनका एक भी प्रदेश अलग नहीं होता है । अत: इनमें परमाणु का भेद नहीं पड़ता है | पुद्गल के चार भेद है । (१) स्कंध है । कोई भी पौद्गलिक एक अखण्ड वस्तु स्कंध कहलाती है | चाहे वह छोटी हो या बड़ी हो परन्तु एक अखण्ड होनी चाहिए । (२) उसी का अविभाजित छोटा भाग देश कहलाता है । (३) उसी का एक सूक्ष्मतम अंश जो अविभाजित हो, स्कंध से अलग न हुआ हो वह प्रदेश कहलाता है । (४) वही सूक्ष्म - तम अदृश्य प्रदेश स्कंध से अलग हो जाय, विभक्त हो जाय वह स्वतंत्र रूप अणु कहलाता है । जैन दर्शन में अणु को ही परमाणु कहते हैं । अणु-परमाणु में कोई भेद नहीं है । એક અખંડ સ્કંધ દેશ પ્રદેશ → परभागुं परमाणु का स्वरूप स्कंध के देश का सूक्ष्मतम प्रदेश जो स्कंध से विभाजित होकर अलग हो गया है अब वह स्वतन्त्र रूप से स्वयं अविभाजित हो वह परमाणु कहलाता है । परमाणु अछेद्य-अभेद्य-अदृश्य- अकाट्य - अदाह्य होते हैं । जिनको छेदन करने से छेद नहीं सकते वे अछेद्य, भेदन करने पर भेद नहीं सकते वह अभेद्य, आंखों से जो दिखाई नहीं देते वह दृश्य तथा जो जलते भी नहीं वे अदाह्य परमाणु होते हैं । साथ ही Undivideble अविभाज्य होते हैं । विज्ञान ने अणु को एक स्वतन्त्र सूक्ष्मतम इकाई माना है । पहले अणु को अविभाजित मानते थे अब विभाज्य मानते हैं । विस्फोट करते हैं । एक परमाणु के साथ इलेक्ट्रोन, प्रोटोन, न्यूट्रोन और अब पोजिट्रोन को संयुक्त रूप से माना है । अतः ऐसा लगता है कि यह परमाणु के बजाय स्कंध हो गया । परमाणु तो एक अणु ही होता है । जब वह द्वयणुक, व्यणुक, चतुणुक आदि अधिक संख्या में यदि दो-तीन - चार-पांच अणु मिलते तब वे अणु-अणु नहीं रहते पुनः स्कंध का रूप धारण कर लेते हैं । संघात - विघात की क्रिया से ही पुद् - कर्म की गति न्यारी १२५
SR No.002478
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 02 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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