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मूर्त है या अमूर्त ?-यदि मूर्त मानोगे तो स्वभाव कर्म जैसा ही है। फिर तो कर्म का दूसरा नाम स्वभाव हो जायगा । यदि अमूर्त मानोगे तो स्वभाव किसी का भी कर्ता सिद्ध नहीं होगा। जैसे आकाश अमूर्त है तथा कर्ता नहीं है वैसे ही स्वभाव भी अमूर्त होगा तो कर्ता नहीं होगा। शरीरादि मूर्त पदार्थों का कारण भी मूर्त पदार्थ ही होना चाहिए। अतः स्वभाव भी कर्ता नहीं हो सकता । अच्छा यदि स्वभाव को वस्तु-धर्म मान लो । अर्थात् स्वभाव सिर्फ आत्मा का धर्म मानें तो वह भी अमूर्त धर्म सिद्ध होगा । अमूर्त से मूर्त शरीरादि कैने उत्पन्न होंगे। यदि स्वभाव को मूर्त वस्तु का धर्म माना जाय तो ठीक ही है । वह कर्म के पुद्गल पर्याय विशेष रूप में हुआ। इस तरह स्वभाव कर्म के रूप में सिद्ध हो जाएगा। अतः कर्म से कुछ नहीं होता सब कुछ स्वभाव से ही होता है यह पक्ष भी न्यायसंगत सिद्ध नहीं होता। अतः केवल स्वभाववाद पक्ष भी जगद् वैचित्य का कारण सिद्ध नहीं हो सकता।
नियतिवाद नियतेनैव रूपेण सर्वे मावा भवन्ति यत् ।
ततो नियतिजा ह्यते तत्स्वरूपानुवेधतः । कालवादी, स्वभाववादी के बाद तीसरे क्रम पर नियतिवादी दार्शनिक आए। एकान्त नियतिवाद को मानने वाले नियतिव दियों का कहना है कि-सभी पदार्थ नियतरूप से ही उत्पन्न होते हैं । नियतरूप का अर्थ है-वस्तु का वह असाधारण धर्म जो उसके सजातीय और विजातीय वस्तुओं से व्यावृत्त होता है। सभी पदार्थ किसी ऐसे तत्त्व से उत्पन्न होते हैं जिससे उत्पन्न होने वाले पदार्थों में नियतरूपता का नियमन होता है, पदार्थों के कारण भूत उस तत्त्व का ही नाम 'नियति' है । उत्पन्न होने वाले पदार्थों में नियति मूलक घटनाओं का ही सम्बन्ध होता है । इसलिये भी सभी को नियतिजन्य मानना आवश्यक है। उदाहरण के रूप में कहते है कि तीक्ष्ण शस्त्र का प्रहार होने पर सभी नहीं मरते परन्तु कुछ ही मरते हैं, कई जीवित रहते हैं। एक ही औषधि के सेवन से नियत लोग ही अच्छे होते है, कई अनेक मरते है। अतः प्राणियों का जन्म-मरण नियति पर नियत है, निर्भर है। जिसका मरण जब नियति सम्मत होता है तभी वह मरता है, अन्यथा नहीं। जिसका जीवन जब नियति सम्मत रहता है तब वह जीवित रहता है। मृत्यु का प्रसङ्ग आने पर भी वह नहीं मरता। यह नियतिवादी का प्रतिपादन है। श्वेताश्वतर उपनिषद् में इसका उल्लेख है। नियतिवादी कहते हैं कि संसार में सब कुछ निश्चित प्रकार से नियत है, और नियत रहेगा। सभी जीव नियति के चक्र में फंसे
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कर्म की गति न्यारी