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पुनः पुनः वही गर्भवास की काली कोटडी की सजा उल्टे सिर भुगतानी । यह संसार का क्रम चला रहा आ रहा है। संसार है वहा तक तो जन्म-मरण से कोई छुटकारा नहीं है । छुटकारा तो तब होगा जब मृत्यु के बाद पुनः जन्म नही लेना पडे, बस उसी का नाम है - मोक्ष । मोक्ष अर्थात् इस अनादि-अनंत जन्म-मरण के संसार चक्र से छुटकारा। पुनः जन्म लें ही नहीं तो फिर मृत्यु का (मरने का) प्रश्न ही कहां आएगा? अतः इस जन्म के चक्र से छुटना ही मोक्ष है । आप चाहे मोक्ष शब्द से परिचित हो या न हो, मोक्ष का लक्ष्य रखें या न रखें परन्तु जन्म-मरण के चक्र से सदा के लिए छूटने का लक्ष्य रखें यही हमारा मोक्षभाव है। संसार की अनादिता :
मृत्यु क्यों हुई ?जन्म हुआ था इसलिए, अच्छा, तो जन्म क्यों हुआ? चूं कि मृत्यु हुई थी इसलिए, मृत्यु क्यों हुई चूं कि जन्म हुआ था इसलिए । इस तरह जन्म का कारण पिछले जन्म की मृत्यु और मृत्यु का कारण जन्म। इस तरह हम जन्म - मरण को एक दूसरे का कारण मानते जाएंगे तो अण्ड़े-मुर्गी के जैसी अनादिता सिध्द होगी। हां, बात सही है । जन्म-मरण भी अण्ड़े-मुर्गी की तरह अनादि काल से चलते ही आ रहे हैं । मुर्गी से अण्डा, अण्ड़े से मुर्गी, पुनः मुर्गी से अण्डा, पुनः अण्ड़े से मुर्गी। इस तरह अनादि परम्परा चलती ही जाएगी। इसका तो कहीं भी अंत नहीं हैं। अंत नहीं है इसलिए तो अनंत कहा जाता है। ठीक यही बात जन्म-मरण के बीच है। जन्म के बाद-मृत्यु, मृत्यु के बाद फिर जन्म । पुनः मृत्यु, पुनः जन्म...इस तरह अनादिता सिध्द होगी और इस अनादि परम्परा का कहीं अंत नहीं है अतः अनंत कहा गया है। दोनों शब्द साथ में बोलने पर अनादि-अनंत कहा जाता है। दूसरी तरफ जीव को अनादि काल से जन्म-मरण की इस परम्परा में परिभ्रमण करते-करते काल भी अनंत बीत चुका है, इसलिए भी अनंत कहा जायेगा। अपेक्षा दृष्टि से अनादि की आदि :
अण्ड़े-मुर्गी में कौन पहले ? इसका इत्तर तो कभी भी नहीं मिल सकता। बीज और वृक्ष में भी वही बात है। उसी तरह जन्म-मरण का भी उत्तर संभव नहीं है। परंतु गत जन्म की स्मृति नहीं है उस अपेक्षा से आज के इस जीवन का जन्म सामने रखें तो जन्म पहले है और मृत्यु बाद में है। एक भव के बारे में सोचने पर पहले जन्म
और बाद में मृत्यु स्पष्ट होती है, परंतु परम्परा देखने पर अनंत की गहराई सामने दिखाई देती है,और अनंत का अंत नहीं दिखाई देता इसलिए अनादि पक्ष भी सामने आता है । अब सोचिए ! कि जन्म-मरण क्या है ? किसके आधार पर है ? हम पुनर्जन्म Rebirth शब्द का प्रयोग करते हैं । शब्द है पुनर्जन्म-पुनः जन्म अर्थात् कर्म की गति नयारी
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