________________
हुआ जीव बाहर ही नहीं निकल पा रहा है। अनंत काल बीत गया। कब से प्रारम्भ हुआ इसका पता नहीं है, अत: वह भी अनादि कहा जाता है। इस तरह अनादिअनंत काल से जीव इन चार गति के संसार में सतत अविरत परिभ्रमण कर रहा है। उदाहरणार्थ गाडी का चक्का ऊपर से नीचे; नीचे से ऊपर गोल गोल घूमता जाता है। ठीक वैसे ही हम सभी जीव इस चार गति के गोल चक्र-संसार चक्र में घूम रहा है। जन्म-मरण धारण करते हुए भटक रहे हैं। कभी सद्गति में तो कभी दुर्गति में इस तरह परिभ्रमण चलता रहता है । न मालूम कब छूटकारा होगा? सदगति और दुर्गति :
२-सद्गति . इसी स्वस्तिक में बताई गई ४ गतियों में २ सद्गति - है और २ दुर्गति है। स्वस्तिक के दानों तरफ़ जहां -तीर के नीशान दिए हैं वहाँ से स्वस्तिक को आधा कीजिए। ऊपर का आधा स्वस्तिक और नीचे का आधा स्वस्तिक इस तरह दो भाग हो जाएंगे। ऊपर के आधे स्वस्तिक में रही २ गतिया नगरकन
२-दुर्गति (१) देव गति और (१ और ४) मनुष्य गति ये सद्गति में . गिनी जाती है। जबकि नीचे के आधे हिस्से में २ गतियां (२-३) नरक गति और तिर्यंच गति ये दुर्गति में गिनी जाती है । स्वर्गीय देव भव एवं मनुष्य जन्म शुभ माने गए हैं अतः सद्गति के अन्तर्गत है। सद् का अर्थ भी शुभ ही है। दुर् का अर्थ खराब है। दुर्गति अर्थात् खराब गति । जीव ने न करने योग्य खराब पाप कर्म किए हो तो फलस्वरूप खराब गति-दुर्गति प्राप्त होती है। जहां जीव अपने किए हए पाप कर्म का फल दुःखरूप में भुगतता है। ठीक इसके विपरीत जीव शुभ पुण्योपार्जन करके सद्गति में जाता है जहाँ सुख भी पाता है। 'स्वर्गवास' का लोक-व्यवहार :
हम अक्सर देखते हैं कि किसी भी मृत्यु के पीछे सभी स्वर्गवास ही लिखते हैं। सभी के लिए ‘इनकी सद्गति हो गई' ऐसा ही लिखते हैं । स्वर्ग=देव गति में या देव लोक में वास निवास-गमन । पिता की मृत्यु के पीछे बेटा 'पिताजी का स्वर्गवास हुआ है ऐसा ही लिखता हैं।' वैसे ही पिता भी पुत्र की मृत्यु के पीछे 'पुत्र का स्वर्गवास हुआ है ऐसा ही लिखते हैं।' उसी तरह पुत्री की, पत्नी की, दादादादी की, भाई-भाभी की, किसी की भी मृत्यु के पीछे स्वर्गवास ही लिखा जाता है। तो क्या सभी मृत्यु पा कर स्वर्ग में ही जाते होंगे? क्या कोई नरक में, तिर्यंच गति में जाता ही नहीं होगा? जब कि शास्त्रकार महर्षि तो कहते हैं कि अपने-अपने किए हुए कर्मानुसार जीव चारों गति में जाता है, तो क्या सभी कोई खराब पाप कार्य करते ही
कर्म की गति नयारी