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________________ ___E.S.P. (Extra Sensory Perseption) नामक इस पुस्तक में कई बौद्धिक चमत्कारों की बातें लिखि है। अतिन्द्रिय मन के प्रयोग की बातें इन्द्रियातीत गिनी जाती हैं । अतिन्द्रिय मन Extra Sens के रूप में माना जाता है। इस अतिन्द्रिय मन की द्रुतगामी शक्ति असीम है। अतः कई बार न समझ में आए ऐसे कार्य अत्यंत शिघ्रता से मन जब कर बैठता है तब चमत्कार का स्वरूप मान लिया जाता है। ग्रीक देश की राजधानी एथेन्स की यह बातें है। एक परिवार में ८ वर्ष की लड़की रात को १० बजकर २० मीनीट पर जगी। एकाएक घबड़ाती हुई उसने अपने पिता को तथा सबको उठाया और कहा अपने मामाजी अमरिका में रहते हैं उन्हें जल्दी कोल करो, उनकी बिल्डिंग में आग लगने वाली है। जल्दी करो समय बिल्कुल थोड़ा ही है। पिता ने कहा-बेटी अपने यहां तो फोन नहीं है, पास में जाकर कहीं से करू तो भी समय तो जाएगा। पिता-माता सभी.घबड़ा गए। यह ८ वर्ष की छोटी लड़की एकाएक क्या कह रही है? लड़की ने फिर कहा पिताजी! अभी भी ४ मिनट है, ४ मिनट के बाद धड़ाके के साथ कुछ रासायणिक विस्फोट होगा और मामा और सबको बचाना है, जल्दी करो, हम सब नीचे उतरकर मैदान में चले जाएं, कहते ही सारा परिवार शिघ्र ही उतरकर नीचे मैदान में आ गया और प्रार्थना करने लगा की मामा जल्दी उठकर उतरकर नीचे आ जाव । क्या चमत्कार हुआ कि - अमेरिका की बहमाली बिल्डिंग में रहते हुए मामा शिघ्र ही जगे, यही बात दिमाग में घूम रही थी, घबड़ाते हए सबको उठाया और जल्दी से सभी नीचे उतरकर मैदान में खड़े हो गए। देखते ही देखते मकान के नीचे भारी विस्फोट हुआ और बड़ी जोर से आग लगी। तब उस लड़की ने एथेन्स में ताली बजाते हुए हंसकर पिताजी से कहा पिताजी ! मामा और सब बच गए। सब जने उतरकर मैदान में आ गए उसके बाद में आग लगी ! वैज्ञानिकों को भी चौंकानेवाला यह प्रसंग है। यह कैसे मालुम पड़ता है? इत्यादि समझ में नहीं आता। इसलिए इसे मन की शक्ति का प्रयोग गिन लिया। Telepathy and Post Telepathy : दूर की बातों को बिना किसी साधन या माध्यम से जानना, समझना, संदेशा लेना-देना-भेजना आदि ज्ञान की प्रक्रिया की बातें Telepathy के नाम से विज्ञान ने भी स्वीकारी है। वर्तमान में साधन तो बहुत हैं, परंतु फिर भी जब बिना साधनों की सहायता के भी ऐसे ऐसे विचित्र प्रयोग जब होते हैं तब किसी की समझ में नहीं आते। भूकंप होने की ४ मिनट पहले एक परिवार जगता है। सभी दौड़कर एकाएक बाहर मैदान में आ गया। आंख बन्द कर प्रार्थना करने लगे। इतने में एक कर्म की गति नयारी (१९८०
SR No.002477
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Rsearch Foundation Viralayam
Publication Year2012
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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