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________________ साथ हाथ चलेंगे तो बाएं पैर के साथ दाहिना हाथ चलेगा और दाए पैर के साथ बांया हाथ चलेगा। यही क्रम है। या तो हाथ चले ही नहीं तो भी मनुष्य चलेगा। बिना हाथ चलेंगे तो सही क्रम में ही चलेंगे। यही नियम है । यद्यपि यह क्रिया शरीर की अनैच्छिकक्रिया है, अर्थात जानबूझकर कोई कोशिष करके इस तरह नहीं चलाता है। फिर भी अपने आप स्वाभाविक क्रम से चलते हैं। यह क्रिया भी ज्ञानोपयोग जन्य क्रिया है। बिना ज्ञानोपयोग के देहादि की कायिक क्रियाएं भी नहीं होती। इसलिए "उपयोग लक्षणो जीवः"उपयोग लक्षण वाला जीव कहा गया है। उपयोग लक्षणात्मक जीव :- .. उपयोग यह पारिभाषिक शब्द है। यहां उपयोग शब्द ज्ञान-दर्शनात्मक चेतना शक्ति के अर्थ में प्रयुक्त है। जीव की व्याख्या करते समय कहा गया है कि - “चेतना लक्षणो जीवः” चेतना लक्षण वाला जीव है। चेतन आत्मा का वाची शब्द है। चेतना चेतन द्रव्य की शक्ति के रूप में प्रयुक्त है। या चेतन के ज्ञानदर्शनात्मक गुणों का समूहात्मक सूचक शब्द चेतना है। चेतन है लक्षण जिसका ऐसा चेतन जीव इसलिए चेतना कहो या उपयोग कहो दोनों एकार्थक शब्द है। उपयोग शब्द भी ज्ञान-दर्शनात्मक है, और इन्ही की शक्ति को चेतना कहा है। - उपयोग चेतना साकारोपयोग निराकारोपयोग ज्ञानात्मक दर्शनात्मक (ज्ञानात्मक) (दर्शनात्मक) __ चेतन जीव के ज्ञान-दर्शन गुण को ही चेतना शक्ति कहते हैं। अतः चेतना दो प्रकार की होगी (१) ज्ञानात्मिका चेतना शक्ति और (२) दर्शनात्मिका चेतना शक्ति। एक ज्ञानात्मिका चेतना शक्ति जानने की क्रिया करती है। यही आत्मा का उपयोग है। आत्मा अपने ज्ञान-दर्शन गुणों का उपयोग करती है। उपयोग भी साकार और निराकार रूप से दो प्रकार के बताए गए हैं। सर्व प्रथम आत्मा को निराकारोपयोग होता है। इसे ही दर्शन कहते हैं। दर्शनाकार रूप निराकारोपयोग से प्रथम वस्तु का सामान्य बोध होता है। सामान्य अस्पष्ट बोध प्रथम दर्शनाकार निराकार उपयोग से होता है। फिर आगे बढ़कर वही निराकार ज्ञान उपयोग में जाकर विशेष बन जाता है। साकार बन जाता है। अतः साकारोपयोग ज्ञानात्मक है। इसमें वस्तु का विशेष स्पष्ट बोध होता है। पदार्थ का ज्ञान प्राप्त करने की यह प्रक्रिया है। क्रिया का कर्ता जीव : कर्म की गति नयारी (१७८)
SR No.002477
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Rsearch Foundation Viralayam
Publication Year2012
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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