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________________ . . Mr उदीरणा राय Awener समय में ७ कर्म तो असंख्य समय में असंख्य x ७ कर्म बंधेगे। ऐसे तो सारे दिन में कितने समय लगेंगे। एक सप्ताह, पक्ष और महिने तथा वर्ष में कितने समय होंगे। इस तरह जीवन भर के ७०-८०-१०० वर्षों में जीव कितने कर्म बांधेगा? चित्र के पहले बंध विभाग में एक मां अपने बच्चों के स्कूल की पढ़ने की पुस्तकें सिगड़ी में जला रही है। यह पाप ज्ञानावरणीय कर्म का बंध कराएगा। कर्म बंध तो पाप की प्रवृत्ति के आधार पर ही होगा। जैसे जैसे पाप होंगे वैसे वैसे कर्म बंध होगा। (२) उदय - कर्मबंध के बाद दूसरी अवस्था उदय की आती है। उदय जैसे सूर्य का उदय होते ही प्रकाश फैल जाता है, वैसे ही बंधा हुआ कर्म उदय में आते ही सुख-दुःख का फल देगा। बीज पनपकर वृक्ष बना, अब वृक्ष के फल-फूल लगते हैं वैसे ही कर्म बीज जो बंध में थे वे नियत काल पर उदय में आते हैं। उदय में आते ही शुभ कर्म का उदय सुख रूप मिलेगा, तथा अशुभ कर्म पाप का उदय दुःख रूप मिलता है। जैसा कि चित्र में बताया गया है कि अशाता वेदनीय पाप कर्म का उदय हुआ अतः कई अस्पताल में बीमार पड़े हैं। (३) उदीरणा – ‘बांधा हुआ कर्म निश्चित उदय में आएगा ही ऐसा कोई नियम नहीं है यदि कर्मबंध के बाद पश्चाताप-प्रायश्चितादि करके कर्म क्षय कर दिया तो वह कर्म नष्ट हो गया अब उदय में आने का प्रश्न ही नहीं रहेगा। यदि कर्म का क्षय नहीं किया है और कर्म की बंधी हुई काल अवधि से भी पहले उस कर्म को शीघ्र क्षय कर्म की गति नयारी -(१५६)
SR No.002477
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Rsearch Foundation Viralayam
Publication Year2012
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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