SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 168
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रदेशों की संख्या कितनी होती है? प्रमाण कितना होता है? यह आधार प्रदेश बंध पर रहता है। जैसे एक चॉक बना है उसमें चूना के परमाणु कितनी संख्या में आए, उसी तरह जीव ने जब कार्मण ग्रहण की है और फिर उसी को पिंड रूप में बनाकर कर्म बनाता है अतः उन प्रदशों के प्रमाण को प्रदेश बंध कहते हैं। दूसरा उदाहरण है लड्डु का। एक बूंदी का लड्ड है तो उसमें बूंदी की संख्या कितनी है। प्रमाण कितना है जैसे यह देखा जाता है वैसे ही जीव ने ग्रहण की हुई कार्मण वर्गणा के स्कंध प्रदेशों को प्रदेश बंध कहते हैं। इसका आधार मन-वचन-काया के योग पर जितना योग ज्यादा उतने प्रदशों को जीव ज्यादा खिंचेगा। तथा जितना योग कम होगा उतने कार्मण प्रदेश कम खिंचे जाएंगे। यह प्रदेश बंध का स्वरूप है। उस तरह यह प्रकृति स्थिति-रस और प्रदेश बंध के भेद से चार प्रकार का बंध बताया गया है। चार प्रकार के लड्डु का दृष्टांत : - प्रदेश बंध में कार्मण प्रदेशों की कम-ज्यादा संख्या समझने के लिए चार प्रकार के लड्डुओं का यह चित्र दर्शाया है (१) बुंदी का लड्डु है (२) मेथी का लड्डु है,(३) तिल का लड्डु है (४) सोंठ का लड्ड है । इन चारों प्रकार के लड्डुओं की आकृति-साईज एक समान है। पहले बंदी के लड्डु में बंदी के दाने कितनी संख्या में है? सूंठ का लड्डु मानों की ५०० दाने है। इसी बुंदी का लड्डु साइजवाले दूसरे मेथी के लड्डु में मेथी के दाने कितने हैं ? १००0 से २०00 भी हो सकते हैं, चूंकि बुंदी से मेथी की साइज छोटी है, अतः संख्या ज्यादा रहेगी। इसके बाद तीसरा लड्डु तिल का है। इसमें तिल के दाने कितने होंगे? तिल की साईज बहुत ही छोटी होने के कारण संख्या बहुत ज्यादा होगी। सम्भव है ४-५ हजार से भी ज्यादा हो, तथा उससे भी ज्यादा चौथे प्रकार के सोंठ के लड्डु में सोंठ के कण -कण की संख्या कितनी होगी। पिसी हुई सोंठ जो चूर्णरूप में हो गई है और उसका लड्डु यदि बनाया जाय तो उसमें सूई की नोंक पर आए ऐसे कणों की संख्या शायद १-२ लाख से भी काफी ज्यादा होगी या चूरमा का लड्डु हो तो उसमें भी कण छोटे-छोटे हैं । उदाहरणार्थ मुंह पर लगाए जाने वाले टेल्कम पावडर में एकएक कण कण गिनने बैठे तो संख्या कितनी होगी? या एक चॉक में चूने के कितने परमाणु होंगे ? उनकी संख्या संख्यात हो या असंख्यात भी हो सकती है। ठीक इसी तरह आश्रव मार्ग में रही हुई आत्मा इन्द्रिय, कषाय,अव्रत,योग और क्रिया के प्रमुख आश्रव मार्ग से जब बाहरी आकाश में से कार्मण वर्गणा के पुद्गल परमाणुओं को कर्म की गति नयारी मेथी का लड्डु . 3 तील का लड्डु
SR No.002477
Book TitleKarm Ki Gati Nyari Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorArunvijay
PublisherMahavir Rsearch Foundation Viralayam
Publication Year2012
Total Pages236
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy