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छठा अध्ययन : अहिंसा-संवर
ने इसका पालन किया है। श्रुतज्ञान के धारकों ने, मनोबलियों ने, वचनबलियों ने, कायबल से युक्त पुरुषों ने, ज्ञानबलियों ने,दर्शनबलसम्पन्न पुरुषों ने, दृढ़चारित्रबल से युक्त पुरुषों ने, इसका भली-भांति आचरण किया है । दूध के समान मधुर वचनवर्षा करने वाली क्षीरस्रावी लब्धि के धारकों ने, मधु के समान मधुर वचनशक्तिरूप मधुस्रावी लब्धि से युक्त पुरुषों ने, घृत के समान स्निग्घ वाक्य बोलने वाली सर्पिस्रावी लब्धि पाये हुए मुनियों ने, जिस लब्धि के प्रभाव से भोजन की सामग्री कम न हो, ऐसी 'अक्षीणमहानस' नामक लब्धि के धनी मुनियों ने, इसका सम्यक् अनुष्ठान किया है । आकाश में गमन करने की विद्याचरण लब्धि के धारक चारण मुनियों ने, अथवा जंघाचरणलब्धि वाले मुनियों ने हर तरह के प्रश्नों का उत्तर दे सकने की अंगुष्ठादि विद्या सिद्ध किये हुए विद्याधर मुनियों ने, एक उपवास से लेकर ६ महीने तक की तपस्या करने वाले तपस्वियों ने इसकी साधमा की है। भोजन बनाने के बर्तन से निकाले हुए भोजन को ही ग्रहण करने के नियम वालों ने, भोजन पकाने के पात्र से दूसरे पात्र में निकाल कर रखे हुए भोजन को ही ग्रहण करने के अभिग्रह वालों ने, गृहस्थ के भोजन कर लेने के बाद शेष रहे भोजन को ही लेने के अभिग्रह वालों ने, बचे हुए तुच्छ आहार को ही लेने की प्रतिज्ञा वालों ने, रूखा-सूखा आहार ही ग्रहण करने के संकल्प-धारियों ने, रूखा-सूखा, ठंडा, बासी, बचाखुचा जैसा भी आहार मिल जाय उसे अग्लान--दोनतारहित भाव से ग्रहण करने के अभिग्रह वालों ने, अथवा जब आहार किये बिना ग्लानि होने लगे, तभी आहार लेने के अभिग्रहधारियौं ने, मौन धारण करके भिक्षा लेने के संकल्प कर्ताओं ने, बिना किसी भेद भाव से उच्च, नीच, मध्यम सभी घरों से भिक्षा ग्रहण करने की चर्या वालों ने, आटे आदि से लिप्त हाथ या बर्तन से ही आहार लेने की प्रतिज्ञा वालों ने, जो भोजनादि देय द्रव्य है, उसी से हाथ या पात्र भरे हों तो आहार लेने के नियम वालों ने, दाता के निकटवर्ती आहारादि को ही ग्रहण करने के अभिग्रह वालों ने, शंका आदि भिक्षा के ४२ दोषों से रहित आहार आदि को ही लेने की प्रतिज्ञा वालों ने,आहारादि वस्तुओं को दत्ति की सख्या निश्चित करके आहार लेने वालों ने, अपने पास के दृश्यमान स्थान से लाई हुई वस्तु को ही ग्रहण करने के संकल्प वालों ने, पहले न देखी हुई - अदृष्ट वस्तु को ही लेने की प्रतिज्ञा वालों ने, 'हे स्वामिन् ! अमुक पदार्थं आपके लिए कल्पनीय - ग्राह्य है ?' इस प्रकार पूछ कर आहारादि देने वाले से ही आहारादि लेने के नियम वालों ने, सदा आयंबिल तप करने वालों ने,