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________________ - ३६ - ६०२ ६०३ ६०५ ६०५ ६२० ६२२ ६२८ ६३० ६३० س س ६३२ ६३२ س س आदान निक्षेप समिति भावना का , , , पंच भावनायोग की महिमा 8-सातवां अध्ययन : सत्यसंवर सत्य की महिमा और उसका स्वरूप सत्य का अर्थ तीनों योगों की एक रूपता में ही सत्य है सत्य की इतनी महिमा क्यों ? सत्य क्या है ? विभिन्न कोटि के सत्य के उपासक सत्य भाषा के दस भेद असत्य भाषा के दस भेद सत्यामृषा भाषा के दस भेद असत्यामृषा भाषा के बारह भेद बारह भाषाएँ सोलह वचन किस प्रकार का सत्य बोला जाय ? नाम आदि पदों का स्पष्टीकरण सत्यवचन भी संयमघातक हो तो असत्य है सत्यवत की पांच भावनाएं अलीकवचन आदि पांच शत्रु ओं से बचना आवश्यक सस्यसिद्धान्त का प्रयोजन, महत्त्व और विश्लेषण पांच भावनाएँ और उनका उद्देश्य अनुचिन्त्यसमिति-भावना का चिन्तन, प्रयोग और फल क्रोधनिग्रहरूप क्षमाभावना का , , लोभविजयरूप निर्लोभता भावना का ,, ,, , भयमुक्तिरूप धैर्ययुक्त निर्भयता भावना का , , हास्यमुक्ति वचन संयमरूप भावना का ,, , , पंचभावनाओं से आत्मा को सुसंस्कृत करने का निर्देश १०-आठवां अध्ययन : अचौर्यसंवर अचौर्यसंवर का स्वरूप अचौर्य के विभिन्न पर्यायवाची शब्द और उनके अर्थ अप्रीति रखने वाले से आहारादि ग्रहण का निषेध क्यों ? س س س عرعر س ६४८ ६५१ ६५२ ६५५ rur ur rur or or or or or ur rur ६५८ ६६२ ६७२
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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