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________________ ७- संवरद्वार-दिग्दर्शन ३५ द्वितीय खंड : संवरद्वार संवरद्वारों का वर्णन क्यों और किसलिए ? संवर का अर्थ संवर का माहात्म्य और उसकी उपयोगिता इन्हें संवरद्वार क्यों कहा गया ? सवर के भेद सर्वप्रथम अहिंसासंवर ही क्यों ? - छठा अध्ययन : अहिंसासंवर अहिंसा के सार्थक नाम एवं उनकी व्याख्या अहिंसा का लक्षण और उसके दो रूप अहिंसा के मुख्य भेद भगवती अहिंसा की विविध उपमाएं अहिंसा के अन्तर्गत विभिन्न गुण और उनकी व्याख्या अहिंसा के आराधक कौन-कौन ? अहिंसाचरण से होने वाली उपलब्धियाँ अहिंसा के पूर्ण उपासकों की भिक्षाविधि अहिंसा के वर्णन के साथ भिक्षाचर्या की विधि का निर्देश क्यों ? नवकोटिशुद्ध निर्दोष भिक्षा भिक्षा के समय लगने वाले १० एषणा के दोष उद्गमदोष के १६ भेद और उनका स्वरूप उत्पादना दोष के १६ भेद और उनका स्वरूप प्राक आहार का लक्षण साधु की निःस्पृह भिक्षावृत्ति भिक्षुक की दीनवृत्ति नहीं है भिक्षा में शुद्धता का उपदेश किसने और क्यों दिया ? अहिंसापालन की पांच भावनाएँ पांच भावनाओं की उपयोगिता पांच भावनाओं का स्वरूप समिति भावना का विशिष्ट चिन्तन, प्रयोग और फल मनःसमिति भावना का वचनसमिति भावना का एषणासमिति भावना का "" "" 11 33 " " "" "1 "" ५०३ ५०६ ५०७ ५०.८ ५१३ ५१४ ५१४ ५१७ ५१७ ५२१ ५२१ ५३२ ५३३ ५.३६ ५४५ ५५६ ५६४ ६६७ ५६७ ५६६ ५७२ ५७६ ५७६ ५७७ ५७७ ५६० ५.६३ ५६५ ५६६ ५६७ ५६७
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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