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________________ ३६२ श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र षाभिः कनकगिरिशिखरसंश्रिताभिर् अवपातोत्पातचपलजयिशीघ्रवेगाभिर् हंसवधूभिरिव कलिता, नानामणिकनकमहार्घ्य (ह)-तपनीयोज्ज्वलविचित्रदंडैः सललितैर् नरपतिश्रीसमुदयप्रकाशनकरैर् वरपत्तनोद्गतैः समृद्धराजकुलसेवितै कालागुरुप्रवरकुन्दुरुक्कतुरुक्कधूपवशवासविशदगन्धोद्ध ताभिरामैः लोनैः (दीप्यमानैः) उभयोरपि पार्श्वयोश्चामरैरुक्षिप्यमाणैः सुखशीतलवातवीजितांगा, अजिता, अजितरथा, हलमुशलकणकपाणयः, शंखचत्र गदाशक्तिनन्दकधराः, प्रवरोज्ज्वलसुकृतविमलकौस्तुभतिरोटधारिणः, कुडलोद्द्योतिताननाः, पुंडरीकनयना, एकावलीकंठरचितवक्षसः, श्रीवत्ससुलांछना, वरयशसः, सर्वतु कसुरभिकुसुमसुरचितप्रलम्बशोभमानविकच्चित्रवनमालारतिद( रचित )वक्षसोऽष्टशतविभक्तलक्षणप्रशस्तसुन्दरविराजितांगोपांगा, मत्तगजवरेन्द्रललितविक्रमविलसितगतयः, कटिसूत्रकनीलपीतकौशेयवाससः, प्रवरदीप्ततेजसः, शारदनवस्तनितमधुरगम्भीरस्निग्धघोषा, नरसिंहाः, सिंहविक्रमगतयः,अस्तमितप्रवरराजसिंहाः,सौम्या, द्वारावतीपूर्णचन्द्राः पूर्वकृततपःप्रभावा निविष्टसंचितसुखा अनेकवर्षशतायुष्मन्तो भार्याभिश्च जनपदप्रधानाभिाल्यमाना अतुलशब्दस्पर्शरसरूपगन्धाननुभूय तेऽपि उपनमन्ति मरणधर्ममवितप्ताः कामानाम् ।। ___ पदार्थान्वय-(भुज्जो भुज्जो य) और पुनः पुनः, (पवर पुरिसा) श्रेष्ठ पुरुष (महाबलपरक्कमा) महाबली तथा महापराक्रमी (महाधणुवियट्टका) बड़े-बड़े सारंग आदि धनुष को चढ़ाने वाले, (महासत्तसागरा) महासत्त्व के सागर, (दुद्धरा) शत्र ओं से अपराजेय, (धणुद्धरा) प्रधान धनुर्धारी, (नरवसभा) मनुष्यों में धोरी बैल के समान–श्रेष्ठ, (रामकेसवा) बलराम और केशव-श्रीकृष्ण - (अथवा नारायण और बलभद्र) (भायरो) भाई, अथवा (सभायरो) भाइयों के सहित (सपरिसा) परिवारसहित (वसुदेव-समुद्दविजयमादियदसाराणं) वसुदेव, समुद्र विजय आदि दशाहमहनीय-पूज्य पुरुषों के, (पज्जुन्नपतिवसंबअनिरुद्ध-निसह-उम्मय-सारण-गय-सुमुहदुम्मुहादीण जायवाणं) प्रद्युम्न, प्रतिव, शम्ब, अनिरुद्ध, निषध, औल्मुक, सारण, गज, सुमुख,दुर्मुख आदि यादवों,तथा (अखट्ठाणं कुमारकोडीणं वि) साढ़े तीन करोड़ कुमारों के भी (हिययदइया) हृदयों के वल्लभ (य) और (रोहिणीए देवीए) देवी---रानी रोहिणी के, तथा (देवकीए देवीए) देवकी देवी-रानी के (आणंदहिययभावनंदणकरा) आनन्दस्वरूप हृदय के भावों की वृद्धि करने वाले, (सोलसरायवरसहस्साणुजातमग्गा) सोलह हजार बड़े-बड़े राजा, जिनके मार्ग का अनुसरण करते हैं, (सोलस देवीसहस्स
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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