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________________ ३१२ ३१३ ३१४ ३१५ ३१६ ३१८ ३२१ ३२१ ३२३ ३२४ ३२४ ३२६ ३२६ ३३६ ३४६ चोरों की मृत्यु के बाद जनता में होने वाली प्रतिक्रिया अस्तेयरत पापियों की अनचाही मौत नरकगति में चोरी का भयंकर दंड तिर्यंचयोनि में भी अगणित दुःख मनुष्यजन्म प्राप्त होने पर भी दुर्दशा और भयंकर यातना धर्मसंस्कार अनेकों जन्मों तक नहीं मिलते दुष्कर्म चोरों का जल्दी पीछा नहीं छोड़ते ५-चतुर्थ अध्ययन : अब्रह्मचर्य-आश्रव अब्रह्मचर्य का स्वरूप और व्याख्या अब्रह्मचर्य का लक्षण अब्रह्मचर्य वृत्ति के हेतु सर्वत्र अब्रह्मचर्य की धूम अब्रह्मचर्य से कायिक, मानसिक और आत्मिक हानियां • अब्रह्मचर्य के पर्यायवाची नाम और उनकी व्याख्या अब्रह्मसेवनकर्ता कौन और कैसे ? जानबूझ कर भी अब्रह्मचर्य के कीचड़ में क्यों ? देवों में अधिक विषयलालसा क्यों ? देव का. लक्षण चारों प्रकार के देवों का निवासक्षेत्र मनुष्यगति में अब्रह्मचर्य का प्रभाव तिर्यंचगति के जीवों में भी अब्रह्मचर्य । मनुष्यगति के कुछ प्रसिद्ध अब्रह्मचर्यसेवी व्यक्ति जितने समृद्ध उतने ही काम भोगों से अतृप्त संसार के अन्य पुण्यशालियों को कामप्रवृत्ति बलदेव-वासुदेव के असाधारण गुण और विशेष चिह्न मांडलिकनृपों और उत्तरकुरुदेवकुरु के मनुष्यों को विभूति इनके विस्तृत वर्णन करने का रहस्य भोगभूमि के मनुष्यों का स्वरूप तथा उत्तम शरीर और प्राकृतिक जीवन भोग भूमि के मनुष्यों का संक्षिप्त परिचय भोगभूमि की महिलाएं महिलाओं का वर्णन क्यों ? ३५१ ३५२ ३५२ ३५५ ३५८ ३५९ ३७१ ३७६ ३८९ ३६० ३६२ ३६५ ४०५
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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