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________________ २७८ श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र मेडणाहि) गर्दन नीचे झुका कर छाती और सिर कस कर बांधे हुए कैदी निःश्वास छोड़ते हैं या कस कर जकड़े जाने के कारण उनका श्वास ऊपर को रुक जाता है अथवा उनकी आंतें ऊपर को आ जाती हैं, छाती धड़कती रहती है, उनके अंग मोड़े जाते हैं, बारबार उल्टे किये जाते हैं। इस तरह अशुभ भावों में ब्रहते हुए वे (बद्धा) बंधे हुए (नीससंता) निःश्वास लेते रहते हैं । (आणतिकिकरहिं) जेल के अधिकारियों का आदेश पाते ही काम करने वाले नौकरों द्वारा, (सीसावेढउरुयावलचप्पडगसंधिबंधणतत्तसलागसूइयाकोडणाणि) चमड़े को रस्सी का सिर से बांधा जाना, दोनों जांघों को चोरा जाना या मोड़ा जाना, घुटने, कुहनी, कलाई आदि जोड़ों को काठ के यंत्रविशेष से बांधा जाना, तपी हुई लोहे की सलाई और सुई शरीर में चुभोना, (तच्छणविमाणणाणि) वसूले से लकड़ी की तरह छोला जाना, मर्मस्थानों पर पीड़ा पहुँचाना, (य) और (खार-कड़य-तित्त-नावण-जायणा-कारणसयाणि बहुयाणि) नमक, सोडा आदि क्षार पदार्थ, नीम आदि कड़वे पदार्थ, लाल मिर्च आदि तीखे पदार्थ कोमल अंगों पर डालना या छिड़कना इत्यादि पीड़ा पहुंचाने के सैकड़ों निमित्तों को ले कर बहुत-सी यातनाएँ (पावियंता) पाते रहते हैं। (उरक्खोडीदिन्नगाढपेल्लण-अटिंकसंभग्गसुपंसुलीगा) किसी समय छाती पर महाकाष्ठ रख कर जोर से दबाने से या जोर से मारने से हड्डियां टूट जाती हैं, पसलियां ढीली हो जाती हैं, (गलकालकलोहदंडउरउदर-वत्थि-पट्ठि-परिपीलिता) मछली पकड़ने के कांटे के समान घातक काले लोहे को नोक वाले डंडे से छाती, पेट, गुदा और पीठ में भोंकने से वे अत्यन्त पीड़ित हो जाते हैं । (मच्छंतहिययसंचुण्णियंगमंगा) इतनी भयंकर पीड़ा से अपराधियों का हृदय मथ दिया जाता है और उनके सारे अंग-उपांग चूर-चूर कर दिये जाते हैं। (केई) कितने ही (अविराहियवेरिएहि जमपुरिससन्निहिं) बिना अपराध किये ही वैरी बने हुए यमदूतों के समान पुलिस के सिपाहियों द्वारा (पहया) पोटे जाते हैं । (ते) वे (मंदपुण्णा) अभागे चोर (तत्थ) कैदखाने में, (चडवेला-वज्झपट्टपाराइ-छिव-कस-लत-वरत्त-वेत्तपहारसय-तालियंगमंगा) थप्पड़ों, मुक्कों, चमड़े के पट्टों, लोहे के कुश, लोहे के नोकदार व तीखे शस्त्र, चाबुक, लात, चमड़े के मोटे रस्से और बेंतों के सैकड़ों प्रहारों से अंग-उपांगों में चोट पहुंचा कर सिपाहियों द्वारा पीड़ित (कोरंति) किये जाते हैं, (किवणा) बेचारे दीनहीन बने हुए चोर, (लंबंत-चम्म-वण-वेयणविमुहियमणा) लटकती हुई चमड़ी पर हुए घावों को वेदना के कारण अपने चोरी के अपराध से उन्मने हो जाते हैं (घणकोट्टिम-नियल-जुयल-संकोडियमोडिया)हथौड़ों से कूट कर तैयार की हुई दोनों बेड़ियों के रातदिन पहिनाये रखने से
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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