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________________ तृतीय अध्ययन : अदत्तादान-आश्रव २७७ सिपाहियों, शूरवीर गुप्तचरों तथा झूठी प्रशंसा करने वालों के (तेहि) उन-उन (कप्पडप्पहार-निद्दयआरक्खिय-खरफरुसवयण-तज्जणगलच्छल्लुच्छलणाहि) कपड़े के चाबुकों के प्रहार से, निर्दय सिपाहियों के तीखे व कठोर वचनों की डांट-फटकार से तथा गर्दन पकड़ कर धक्का देने से (विमणा) खिन्न चित्त हुए वे चोर, (निरयवाससरिसं) नरकावास के समान (चारकवसहिं) कैदखाने में (पवेसिया) जबरन घुसाये जाते हैं । (तत्थवि) वहाँ भी (गोम्मियप्पहारदूमणनिब्भच्छणकडुयवयणभेसणगभयाभिभूया) जेल के अधिकारियों द्वारा विविध प्रहारों, नाना प्रकार की यातनाओं, झिड़कियों, कडवे वचनों तथा भयंकर वचनों से उत्पन्न भय से दबे हुए या दुःखित रहते हैं । (अक्खितनियंसणा) उनके कपड़े छीन लिये जाते हैं, (मलिनदंडिखंडवसणा) उनके पास सिर्फ मैले-कुचेले फटे हुए वस्त्र रहते हैं, (उक्कोडालंचपासमग्गणपरायणेहि गोम्मियभडेहि) बार-बार उन कैदियों से रिश्वत और घूस मांगने में तत्पर जेल के सिपाहियों द्वारा (विविहेहिं बंधणेहिं) अनेक प्रकार के बंधनों से वे (बज्झंति) बांधे जाते हैं । (किं ते ?) वे बन्धन कौन-कौन-से हैं ? (हडि-निगड-बालरज्जुय-कुदंडगवरत्त-लोहसंकल-हत्थंदुय-बज्झपट्ट-दामक-णिक्कोडणेहि) हाड़ी-काठ को बेड़ी, लोह को बेड़ी, बालों को बनी हुई रस्सी, जिसके किनारे पर रस्सी का फंदा बांधा जाता है ऐसा एक काठ, चमड़े के मोटे रस्से, लोहे की सांकल, हथकड़ी, चमड़े का पट्टा, पैर बांधने की रस्सी, तथा निःकोटन-एक प्रकार के बंधन विशेष से (य) और (एवमादिएहि) ये और इसी प्रकार के (अन्नेहि) दूसरे (दुक्खसमुदीरणेहि) दुःख पैदा करने वाले, (गोम्मिकभंडोवगरणेह) कैदखाने के अधिकारियों के विशिष्ट उपकरणों से, (संकोडमोडणाहि) कैदियों के शरीर को सिकोड़ कर और मोड़ कर (मंदपुण्णा) उन अभागे कैदियों को (बझंति) बांधा जाता है। य) तथा (संपुड-कवाड-लोह पंजरभमिघरनिरोह-कूव-चारक-कोलग - जूय-चक्क-विततबंधण - खंभालण-उद्धचलण-बंधणविहम्मणाहि) कैद की कोठरी में चारों ओर से किवाड़ बंद कर देना, लोहे के पींजरे में बन्द कर देना, भोयरे-तलघर में डाल देना, कुए में उतार देना, बन्दीघर के सींखचों में जकड़ देना, कीलें ठोक देना, बैलों के कन्धों पर डाले जाने वाला जवा कंधे पर रख देना, गाड़ी के पहिये से चारों ओर से बांध देना, बांहें, जांघे और सिर को कस कर बांध देना, खंभे से चिपटा देना, पैरों को ऊपर कर के बांध देना इत्यादि अनेक बन्धनों से यातनाएं दे कर अधर्मी जेल के अधिकारियों द्वारा (विहेडयंता सिकोड़े या मोड़े जाते हैं- पीड़ित किये जाते है। (य) और (अवकोडकगाढउरसिरबद्धउद्धपूरित (असुहपरिणयाय) फुरंतउरकडगमोडणा
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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