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________________ प्रथम अध्ययन : हिंसा-आश्रव ७१ मछलियों को जाल में पकड़ने वाले मच्छीमार-धीवर, (साउणिया) पक्षियों का शिकार करने वाले—बहेलिये, (बाहा) व्याध-हिरणों का शिकार करने वाले, (करकम्मा) र कर्म करने वाले, (दीवियबंधणप्पओग-तप्पगल-जाल-वीरल्लगायसी-दभवागुराकूडछेलियहत्था हरिएसा) ऐसे चाण्डालविशेष जो चीतों को साथ में रखकर हिरनों को मारने के लिए बंधनों का प्रयोग करते हैं, मछलियों को पकड़ने के लिए छोटी नाव, वंसी—जिसके मुंह पर लोहे का कांटा लगा रहता है, तथा जाल रखते हैं, जो बाज आदि पक्षियों या मृग आदि को मारने के लिए लोह का या नारियल की जटा (दर्भ) का बना हुआ फंदा या गुलैल आदि रखते हैं, और सिंह आदि हि जानवरों को पकड़ने के लिए जो हाथ में नकली बकरी आदि छलपूर्वक रखते हैं, (य) तथा (वीदंसगपासहत्था) जिस बाज आदि एक पक्षी से अन्य पक्षी पकड़ लिये जाते हैं, ऐसा जाल हाथ में रखने वाले, (वणचरगा) भील आदि वनचर, (लुद्धया) व्याधशिकारी, (महुघाया) शहद के लिए छत्तों को नष्ट कर मधुमक्खियों का घात करने वाले, (पोतघाया) पक्षियों के छोटे-छोटे बच्चों का घात करने वाले, (एणीयारा) हिरनों को पकड़ने के लिए हिरनी को साथ में लिए घूमने वाले (पोसणीयारा) हिरनों को पालने वाले, (सर-दह-दीहिअ-तलाग-पल्लल-परिगालण-मलण-सोत्तबंधणसलिलासयसोसगा) सरोवर, झील, बावड़ी, बड़ा तालाब और तलैया का शंख, सीप, मछली आदि की प्राप्ति के लिए जल निकाल कर, जल का मर्दन कर, जल का प्रवेश रोक कर-यानी बांध या पाल बांधकर जलाशयों को सुखाने वाले, (विसगरस्स दायगा) विष या काल-कूट, अथवा दूसरे द्रव्य के साथ मिला हुआ विष देने वाले (उत्तण वल्लरदवग्गिणिद्दयपलीवगा) ताजी उगी हुई हरी घास के खेतों को निर्दयतापूर्वक दावाग्नि लगा कर जला डालने वाले (कूरकम्मकारी) क्रूर कर्म करने वाले (य) और (बहवे) बहुत से (मिलक्खुजातीया) म्लेच्छ जाति के लोग; (ते) वे (के) कौनकौन हैं ? वे निम्नोक्त प्रकार के हैं—(सक-जवण-सबर-बब्बर-काय-मुरुडोद-भडगतित्तिय-पक्कणिय-कुलक्ख-गोड-सींहल-पारस - कोंचंध-दविल-बिल्लल-पुलिंद-अरोस-डोंबपोक्कण-गंधहारक-बहलीय-जल्ल-रोम-मास-वउस-मलया) शक (टर्की निवासी), यवन (जावा द्वीप के), शबर (भील जाति के), बर्बर (अफ्रीका आदि के नरभक्षी लोग अथवा बारबरी) काय, मुरुण्ड, उद, भडग, तित्तिक (तातार), पक्वणिका (शबरी से पैदा हुए) कुलाक्ष, गौड़ (उड़ीसा के गौड़ देशीय), सिंहल (लंका वासी), पारस (फारसी), क्रौंच (जर्मन), अन्ध (आन्ध्रवासी), द्राविड़ (तामिलनाडवासी), बिल्वल, पुलीन्द्र, अरोष (रूसी), डोंब (डोम-चांडाल), पोक्कण, खंधारदेशवासी (काबुलवासी), बहलीक, (वाली द्वीप के), जल्ल, रोम (रोमन), मास या माष, बकुश, मलय (मलाबार के) (य) और चुचुया) चुञ्चुक, (चूलिया) चूलिक, (कोंकणगा) कोंकण देश के, (सेय-मेता)
SR No.002476
Book TitlePrashna Vyakaran Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherSanmati Gyanpith
Publication Year1973
Total Pages940
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_prashnavyakaran
File Size21 MB
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