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लोकवाद : एक समीक्षा | १४३
करके जुट सके तो समभावपूर्वक वेदनाएँ सहकर उनके मूल - कर्मों के समूह को काट सकता है और मोक्षपद प्राप्त कर सकता है । इसीलिए लोकवाद Mat आस्तिक्य का आधार माना गया है ।
इहलोक के अतिरिक्त भी परलोक ( ऊर्ध्वलोक- अधोलोक ) को मानने से पुनर्जन्म कर्मों के फलस्वरूप चार गति और ८४ लक्ष योनियों में परिभ्रमण के कारणों पर अनायास ही चिन्तन का स्रोत फूटता है, जिससे आत्मविकास और आत्मधर्म के प्रति साधक की आस्था दृढ़ होती है ।