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________________ अरिहन्तदेव स्वरूप : ६५ तीर्थंकर श्री अरनाथजी का जन्म हआ। सबसे उत्तम महासात्त्विक कुल में जो उत्पन्न होता है तथा जो कुल की वद्धि करने वाला होता है, उसे वृद्ध पुरुष 'अर' कहते हैं तथा जब भगवान् गर्भ में थे, तब माता ने स्वप्नावस्था में सर्वरत्नमय अर (करवत) देखा था। इसी कारण से भगवान् का शुभ नाम 'अरनाथ' रखा। भगवान् के शरीर का वर्ण स्वर्णसदश पीला था। इनका लक्षण थानन्दावर्त स्वस्तिक । देह की ऊँचाई ३० धनुष की और आयु ८४ हजार वर्ष को थी। वे ६३ हजार वर्ष गृहस्थाश्रम में रहे और २१ हजार वर्ष तक संयम पालन किया । अन्त में, एक हजार मुनियों के साथ मोक्ष पधारे । (१६) श्री मल्लिनाथजी तदनन्तर एक करोड़ एक हजार वर्ष बीत जाने पर मिथिलानगरी के कुम्भ राजा की प्रभावती रानी से उन्नीसवें तीर्थंकर भगवती मल्लि का जन्म हुआ । परोषह आदि मल्लों को जीतने के कारण आपका नाम 'मल्लि' पड़ा अथवा जब भगवती माता के गर्भ में थीं, तब माता को सुगन्धित पुष्पों की माला की शय्या पर सोने का दोहद उत्पन्न हुआ था, जो देवता द्वारा पूर्ण किया गया। इसीकारण से आपका नाम मल्लि रखा गया । आपके शरीर का वर्ण पन्ना के समान हरा था। आपका लक्षण कुम्भ था । आपका देहमान २५ धनुष का और आयुष्य ५५ हजार वर्ष का था । आप १०० वर्ष तक गृहस्थवास में और ५४६०० वर्ष तक संयमीजीवन में रहीं। अन्त में, ५०० साधुओं और ५०० आर्याओं के साथ आपने मुक्ति प्राप्त की। (२०) श्री मुनिसुव्रतस्वामीजी तदनन्तर ५४ लाख वर्ष के पश्चात् राजगृह नगर के सुमित्र राजा की पदमावती रानी से बीसवें तीर्थंकर श्री मुनिसुव्रतस्वामीजी का जन्म हुआ। जो जगत् की त्रिकालावस्था पर मनन करता है, वह मुनि है, जिसके सुन्दर मुनिव्रत हैं, वह मुनिसुव्रत होता है तथा जब भगवान् माता के गर्भ में थे, तब उनकी माता मुनि के समान सुन्दर व्रत वाली हो गई थी । इस कारण भगवान् का नाम मुनिसुव्रत रखा गया। भगवान् के शरीर का वर्ण नीलम जैसा श्याम था। आपका लक्षण था-कूर्म (कछुआ) । देह की ऊँचाई २० धनुष की और आयु ३० हजार वर्ष की थी। आप साढ़े बाईस हजार वर्ष तक गृहवास में और साढ़े सात हजार वर्ष तक मुनि जीवन में रहे। अन्त में, एक हजार मुनियों सहित मोक्ष पहुँचे।
SR No.002475
Book TitleJain Tattva Kalika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1982
Total Pages650
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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