SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 86
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६० अमरदीप के साथ स्वागत किया जाता है; मृत्यु का उतने ही दुःख के साथ तिरस्कार किया जाता है । मनुष्य मौत से बचने के हजार-हजार उपाय सोचता है, पर एक भी उपाय नहीं चलता । एक सेठ के पास कोई ज्योतिषी आया । सेठ ने पूछा- पडितजी ! समय कैसा आने वाला है ? पंडित ने कहा- सेठजी ! बहुत भारी वर्षा होगी, बड़े-बड़े मकान ढह जायेंगे, बाढ़े आयेंगी, फसल चौपट हो जायेगी फिर भुखमरी बगी, वर्षा के कारण बीमारियाँ फैलेंगी, लोग धड़ाधड़ मरेगे ।. सेठ ने कहा- ठीक है ! मैं अभी से इनका इंतजाम कर लेता हूं । मकान सब सोमेंट के पक्के करवा लेता हूं, गोदाम में अनाज मरवाता हूं, जोवन रक्षक दवाओं का स्टॉक कर लेता हूँ। फिर तो सब ठीक है ? पंडित - हां, फिर सर्दी भी बहुत पड़ेगी । सेठ - कोई परवाह नहीं ! रूई के गद्दे और रजाइयाँ भरवाकर रख देता हूँ | सर्दी से बचने के लिए ईंधन का भी पूरा इन्तजाम कर लेता हूं, फिर तो सब ठीक है न ? पंडित - हाँ, और तो सब ठीक है, मगर गर्मी में गर्मी भी खूब पड़ेगी, आग बरसेगी, लोग पानी की बूंद-बूंद को तरसेंगे ? सेठ - मैं अभी से अपने अंडरग्राउण्ड टैंक बनवाकर पानी से भरवा लेता हूं। ठंडक के लिए गुलाबजल, खसखस आदि का भी इंतजाम कर लेता हूं फिर तो सब ठीक है ? पंडित ने कुछ देर पंचांग देखकर कहा - हाँ और तो सब कुछ ठीक है मगर बाद में बड़ा भारी भूकंप आयेगा बड़ी-बड़ी इमारतें ढह जायेंगी, जमीनें फट जायेंगी और सब कुछ भूमि के अन्दर धंस जायेगा ? मनुष्य तेजी से जमीन के अन्दर समा जायेंगे । सेठ घबराया, बोला- पण्डितजी ! अब इसका क्या इंतजाम हो ? भूकम्प आयेगा तो सब कुछ जमींदोज हो जायेगा । फिर तो यह सब इंतजाम बेकार है । पण्डितजी मुस्कराये, बोले- सेठ ! चाहे जितने उपाय कर लो, मौत जब आयेगी तो कोई उपाय नहीं चलेगा । जीवन का एक-एक क्षण नपा-तुला होता है, उसे घटाने-बढ़ाने की सामर्थ्य सामान्य व्यक्ति तो क्या, तीर्थंकर जैसे अनन्त शक्तिमान् पुरुष में भी नहीं है । भगवान् महावीर को नामराशि पर भस्मकग्रह आने वाला है, इस विचार से इन्द्र ने भगवान् की सेवा में पहुंच कर उनसे प्रार्थना की भगवन्! आपकी नाम राशि पर भस्मक ग्रह आने से अनेक विपत्तियाँ
SR No.002474
Book TitleAmardeep Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy