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________________ २६ मृत्यु का रहस्य ? मृत्यु अवश्यम्भावी है धर्मप्रेमी श्रोताजनो ! आज मैं आपके समक्ष जीवन की सफलता का रहस्य समझाना चाहता हूँ । आप जानते हैं कि जीवन तो सभी को प्रिय लगता है, परन्तु मरना किसी को भी प्रिय नहीं लगता । मृत्यु का नाम सुनते ही रोंगटे खड़े हो जाते हैं । मृत्यु से बचने के लिए मनुष्य सब कुछ कष्ट उठा लेगा, अपमान और तिरस्कार के कड़वे घूँट भी पी लेगा, मंत्र, यंत्र, तंत्र सभी का प्रयोग कर लेगा, कठोर से कठोर साधना कर लेगा, परन्तु क्या मृत्यु से उसका बचाव हो सकता है ? कदापि नहीं । एक अंग्रेज विचारक ने कहा है Nothing is sure than death. मृत्यु से अधिक सुनिश्चित अन्य कोई भी वस्तु नहीं है । इतना जान लेने पर भी मनुष्य मौत से घबराता है, यही आश्चर्य है । करता है। उसके लिए एक मनुष्य मौत के टालने के लिए बहुत कुछ प्रयत्न शायर का यह कथन याद आ रहा है आगाह अपनी मौत का सामान सौ बरस का, पल कोई बशर नहीं । की खबर नहीं ॥ मृत्यु को टालने का प्रयत्न क्यों ? संसार सागर में जन्म और मृत्यु ज्वार-भाटे की तरह बारी-बारी से आते हैं, इसे बदलना मनुष्य के लिए असम्भव है । मृत्यु अवश्यम्भावी होने पर भी जन्म के समय जो हंसी-खुशी या मिठास होती है, मृत्यु समय वह उदासी, शोक एवं कड़वाहट में परिणत हो जाती है । जन्म का जितने हर्ष
SR No.002474
Book TitleAmardeep Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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