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________________ ३६ अमरदीप एक पाश्चात्य विचारक ने कहा है ---- Ignorance is the root of all evils' -अज्ञान तमाम बुराइयों की जड़ है। संसार के अधिकांश पाप अज्ञान के कारण होते हैं। पाप के कारण ही जीव जन्म, जरा, मृत्यु, व्याधि तथा अपमान, शोक आदि नाना प्रकार के दुःख पाता है, व उठाता है। यह अज्ञान की ही करतूत है कि बहुत-सी बहन पुत्र-प्राप्ति, पुत्र रक्षा सौभाग्य या अन्य सांसारिक सुख के लिए बांयाजी, भोपा, भवानी, चण्डी, दुर्गा, काली आदि देवियों और जोगिनिर्यो की मनाती हैं, जहाँ बकरे, मुर्गे, या भैंसे की बलि दी जाती है, शराब चढ़ाई जाती है। ये सामाजिक अज्ञान तो पापमूलक हैं ही, कई पारिवारिक अज्ञान भी भयंकर हिंसायुक्त हैं। ___ गोभिल्ल गृह्यसूत्र में वर्णन है कि विवाह के मांगलिक प्रसंग पर वर-वधू को ताजे मारे हुए बैल का चमड़ा ओढ़ाकर चंवरी (लग्नमण्डप) में बिठाया जाता था। तथा उत्सवों में मनुष्यों की खोपड़ी लेकर चलने का रिवाज था। इसी प्रकार एक जगह विवाह के समय घर में बिल्ली उछल-कूद मचा रही थी, तो उसे अपशकुन मानकर उस पर पीतल का भगौना औंधा करके डाल दिया गया। नववधू ने यह देख लिया। उसने मन में गांठ बांध ली कि हमारे ससुराल में विवाह के समय इस प्रथा का पालन होता है । बीस वर्ष बाद उसके जवान लड़के का विवाह होने लगा तो उस लड़के की मां ने उस पुरानी प्रथा को याद करके विल्ली ले आने की फरमाइश की। चूंकि वह पालतू बिल्ली तो उसी समय मर चुकी थी। दूसरी बिल्ली पाली नहीं गई थी। अतः काफी दौड़-धूप और परेशानी के बाद एक भटकती हुई बिल्ली लाई गई। वर की मां ने उस पर पीतल का भगौना ढकवाया । लोगों ने समझायाबुझाया तो उसने उनकी एक नहीं सुनी और इस कुरीति का पालन किया। फिर उसकी उक्त नववधू ने भी अपनी सास की डाली हुई परम्परा का पालन अपने पुत्र के विवाह के समय बिल्ली मंगवा कर किया। ये हुए पारिवारिक अज्ञान, जो हिंसामूलक हैं। इनसे भी भयंकर पापमूलक है-धार्मिक अज्ञान । जो धर्म के नाम पर चलता है । धर्म के नाम पर महन्तों और गुसांइयों की व्यभिचारलीला, दासीप्रथा के नाम पर अनाचार परम्परा, मनुष्यों की बलि इत्यादि ।
SR No.002474
Book TitleAmardeep Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmarmuni, Shreechand Surana
PublisherAatm Gyanpith
Publication Year1986
Total Pages332
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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