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आर्य और अनार्य की कसौटी
महात्मा गांधी जाति, कुल आदि से भी आर्य थे और विचारों से भी। जब वे विदेश जाने लगे तो उनकी माता पूतलीबाई ने बेचरजी स्वामी से तीन प्रतिज्ञाएं दिलवाई थीं- (१) शराब न पीना, (२) मांसाहार न करना, और (३) परस्त्रीगमन न करना । इन तीनों प्रतिज्ञाओं की कई बार कसौटी भी हुई, विशेषतः परस्त्रीगमन के त्याग की तीन बार कटोर कसौटी हुई; लेकिन गांधीजी अपनी प्रतिज्ञा से एक इंच भी इधर-उधर नहीं हुए।
___ एक बार वे एक अंग्रेज प्रोटेस्टेंट पादरी के सम्पर्क में आए। पादरी गांधीजी के विचारों से बहुत प्रभावित हुआ। पादरी का साग परिवार मांसाहारी था। उसका एक छह-सात वर्ष का लड़का था। पादरी ने गांधीजी को अपने यहाँ भोजन के लिए आमन्त्रित किया। गांधी जी तो चुस्त वैष्णव और शाकाहारी थे। उन्होंने तो शाकाहारी भोजन ही किया गांधीजी से पादरी के उस लड़के ने मांसाहार न करने का कारण पूछा । उन्होंने ऐसे तर्को से समझाया कि लडके के गले उनकी बातें उतर गई, अपने पिता द्वार' बहुत समझाने के बावजूद भी लड़के ने मांसाहार नहीं किया, और गाँधीजी के विचारों के अनुसार मांस का सदा के लिये त्याग कर दिया। यह था–आर्य के सत्संग का अनार्य पर अमिट प्रभाव !
- दूसरे प्रकार के पुरुष वे हैं, जो उच्चकुल, जाति, क्षेत्र आदि में पैदा होकर भी अनार्यकर्म करते रहते हैं । वे आर्यकर्म करने का तथा अनार्यकर्म छोड़ने का भी विचार भी नहीं करते, न ही किसी सतपुरुष की वाणी सुनते हैं । दुर्योधन उच्चकुल, जाति एवं क्षेत्र में जन्मा था, इसलिए नाम से आर्य होने पर भी उसने अपना सम्पूर्ण जीवन अनार्य विचार और अनार्य आचार में ही बिताया। अन्त में, महाभारत जैसा भयानक महायुद्ध करके अपने कुल का नाश किया और लाखों व्यक्तियों का संहार कराया । अतः आर्यकूलादि में जन्म लेने पर भी जब तक व्यक्ति के जीवन से पाशविक एवं दानवो वृत्ति-प्रवृत्ति नहीं निकलती, तब तक वह आर्य कहलाने का अधिकारी नहीं होता।
___ अर्हतर्षि आर्यायण के अनुसार ऐसा व्यक्ति अपने अनार्य साथियोंसहयोगियों के साथ मिलकर सदैव अनार्यकर्म करता रहता है। वह अपने तुच्छ स्वार्थ के लिए हजारों व्यक्तियों को मौत के घाट उतार देता है। अतः सरलता, सत्यता, प्रामाणिकता एवं मानवता के बिना जाति, कुल भाषा, क्षेत्र आदि से आर्य होकर भी विचारों और कार्यों से अनार्य ही रहता है । गोस्वामी तुलसीदासजी ने ऐसे नीच व्यक्तियों के लिए कहा है
ऊँच निवास नीच करतूती, देखि न सकहिं पराई विभूती।'