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अमरदीप
योग किस ढंग से करता है ? यदि वह अपनी वाणी के द्वारा दूसरे के हृदय के घावों को भरता है तो वह ज्ञानी है -पण्डित है और यदि वह जीभ के द्वारा दूसरे के दिल पर घाव करता है तो वह बाल है- अज्ञानी है। यह कभी मत भूलिये कि जीव के द्वारा विया हुआ घाव तलवार से भी गहरा होता है । महान् विचारक पाइथागोरस ने ठीक ही कहा था
A wound from a tongue is worse than a wourd from a sword, for the latter affects only the body, the former the spirits.
जीभ का घाव तलवार के घाव से खराब होता है, क्योंकि तलवार शरीर पर चोट पहुंचाती है, जबकि जीभ आत्मा पर आघात पहुंचाती है। एक जापानी कहावत है
'जीभ केवल तीन इंच लम्बी है, लेकिन वह छह फीट ऊंचे आदमी को धराशायी कर सकती है।'
दूसरी शक्ति मानव के पास काया या कर्म की है । काया की चेष्टा से भी मानव की असलियत परखी जा सकती है। वक्तृत्व कला में जादू है, लेकिन जीवन कला उससे भी अनन्तगुणी चमत्कारिणी है। कहने का आशय यही है कि वक्तृत्व शक्ति की अपेक्षा कर्त त्वशक्ति अधिक प्रभावशाली होती है। कुछ लोगों की वाणी अधिक प्रभावशाली होती है और कुछ लोगों की क्रिया । उत्तम साधक वह है जिसकी वाणी और कर्म दोनों ही संयत. एवं प्रभावशाली है।
दुभासियाए भासाए दुक्कडेणं य कम्मुणा ।' बालमेतं वियाणेज्जा, कज्जाकज्ज विणिच्छए ॥१॥ सुभासियाए भासाए, सुक डेण य कम्मुणा ।
पंडितं त वियाणेज्जा धम्माधम्म विणिच्छए ।।२।। अर्थात्--दुर्वचन (खराब भाषा) बोलने से और दुष्कृत-कर्म करने एवं कार्याकार्य के द्वारा यह बाल अज्ञानी) है, ऐसा समझा जाता है ॥१॥
सुभाषित वाणी, सुन्दर कृत्य और धर्माधर्म के निश्चय के द्वारा पण्डित की पहचान हो जाती है ॥२॥
व्यक्ति की अच्छाई बुराई की पहचान उसकी वाणी एवं कार्यों से होती है । स्थूल मापदण्डों से यानी शरीर की ऊँचाई-नीचाई आदि से व्यक्ति नहीं नापा जा सकता । परन्तु अफसोस है, आज व्यक्ति पैसे के गज से नापा जाता है, सोने के बांटों से तोला जाता है । जिसके पास अधिक संपत्ति और भोग-विलास के प्रचूर साधन हों, वही व्यक्ति श्रेष्ठ, कुलीन और बड़ा माना जाता है। किन्तु इस रूप में व्यक्ति का गलत नाप-तौल करके आप अप्रत्यक्ष